Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 4
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 485
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश www.jainelibrary.org प्रमाण .४/पृ. १४८ १४६. सासादन १६२ १६५ गुणस्थान १६६- सम्यग्मिध्यादृष्टि १६७ १७१ २. जीवोंके अतीत कालीन स्पर्शकी ओष प्ररूपणा ( ४. ४/१. ४, १-१०/९४५-१०३ ) सर्व [5] टोक सर्व लोक लोक for fois मxअसं. ::: मिध्यादृष्टि १६५ संयतासंयत १७२ १७२ असंयत सम्यग्दृष्टि प्रमत्त संयत अप्रमत्त संयत उपशामक क्षपक सयोग केवली गुणस्थान जयोग केवली १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८-११ ८-१२ १३ स्वस्थानस्वस्थान १४ 11 19 विहारवत् स्वस्थान असं.. म./स. च. / असं., म./सं. "" वेदना कषाय समुद्घात च. असं... म./स. = 17 n S मअर्स. मध् च. / असं. म. /सं. म.स. सर्व मनुष्य शोक त्रि. / असं..ति./सं., त्रि. असं ति./सं त्रि./असं ति./सं त्रि./असं ति./सं. 5 मxअसं. च. / असं., म./सं. क्रियिक समुद्घात लोक लोक # 5 मारणान्तिक समुद्रघात सर्व 20 लोक लोक लोक च. / असं, मxअसं. 21 मारणान्तिकवत ११ S उपपाद S १४ w 120 : ... लोक सोक आहारक तेजस आहारक व केवली समुदघात सेजस सर्व मनुष्य लोक 3 ... 19 ... दण्ड = च / असं असं. कपाट कायोत्सर्ग - ४५००,००० यो १ ज. प्र उपनि १०००,००० यो ४९.प्र. प्रतरघातवलय राहेत सर्व लोकपूरण - सर्व स्पर्श ४७८ ३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ

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