Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 4
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 474
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश www.jainelibrary.org ३६ स्थिर ३० अस्थिर ३८) आदेय २६) अनादेय १ प्रकृति २ गोत्र - मूल उच्च नीच ४० यशःफीति १६२ ४६३ ४१ अयशःकीर्ति १८३ ४१२ ४२ सीधकरण १७४ ४६५ अन्तराय ध. ६/पृ. मूल पाँचों घ. १२/पू. ९६२ ४६३ १६२४६२ १६२ ४६३ १८२४६२ १६२४० १६३/ ४८६ काल आबाधा सहस्र वर्ष को. को, सा. १ |१४६ संकेतपय असं से होन * २ १ अन्तः २ ३ स्थिति ३ १० २० १० २० १० २० १० २० उत्कृष्ट ३० ३० प.सं./प्रा.गा. गुण स्थान २० अन्तर्मुहूर्त (४२७४ | ४३२१ 11 " יי "1 13 | ४३२ १ 14 33 स्वामित्व विवरण चारों गतिके उसम म. संक्लेश 11 अविरत सम्यग्दृष्टि चारों गति के उ. म. संक्लेश 33 घ. ६/पृ. = १६० १६८ | १६० ११० अन्तर्मुहूर्त २/० सा. * १६३ ४२४ १८२ आबाधा : काल : : स्थिति जघन्य ८ मुहूर्त घ. ६/१० प सं . / प्रा.गा. " मुहूर्त २/७ सा. १९२४२ अन्तर्मुहूर्त 11 17 अन्त, कोको, ११७४१२ सागर 35 | १६८ ४३३ | १८६,४३३ * २/७ सा. १६०२४२ १८३ स्वामित्व विवरण सर्व विशुद्ध ना. एके प. 19 सू. सा. क्षपकका अन्तिम समय सर्ववा. एके प अपू. क्षपकका १-5 भाग तक सू. सा. क्षपकका अन्तिम समय सर्व वा. एके प सू. सा. क्षपकका अन्तिमसमय स्थिति ४६७ ६. स्थितिबन्ध प्ररूपणा

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