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९. मोह सत्व स्थान आदेश प्ररूपणाका स्वामित्व विशेष
सत्त्व
सं.
२
३
४
५
७
ह
गति अपेक्षा
पर्याप्त -
चारोंमें अन्यतम गतिके जीव पर्याप्त
केवल मनुष्य गति
मनुष्य व देव गति
मनुष्य व तिर्यंच,
देव व नरक
नरक व मनुष्य"
देव मनुष्य म तिच
मार्गणा स्थान
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भा० ४-३८
" नरक " "
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मनुष्य, तिथंच व नरक ." "
द्रष्टव्य- (i) यह ६ स्थान 'पर्याप्तक' के जानने ।
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(ii) इन्हीं स्थानोंको 'अपर्याप्तक' बनानेके लिए पर्याप्त के स्थान पर अपर्याप्त लिख लेना ।
(iii) इन्हीं स्थानोंको पर्यााटके बनानेके लिए पर्याप्त के स्थान पर उभय लिख लेना ।
सं.
१०
११
११
|१३
१९४
१५
१६
११८
Le
२०
२१
२२
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सम्यक्त्व अपेक्षा
पर्याप्त
अन्यतम सम्यक्त्व
केवल क्षायिक सम्यक्त्व
केवल वेदक सम्यक्त्व
केवल कृतकृत्य वेदक सम्यक्त्व
केवल उपशम सम्यक्त्व
उपशम व वेदक सम्यक्त्व
मार्गणा स्थान
उपशम वेदक सम्यष्टि व सम्य मिध्यादृष्टि
उपर्युक्त सं. १६ + सासादन व सादि मि.
सादि मि. व सासादन
अनादि मिध्यादृष्टि
३. सत्य विषयक प्ररूपणाएँ
वेदक सम्य, मिश्र, सासादन, मि.
सादि मिध्यादृष्टि
सादि अनादि मिध्यादृष्टि
- वेदकी अपेक्षा
केवल पुरुष वेद
जैमेन्द्र सिद्धान्त कोश
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