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सत्त्व
३. सत्त्व विषयक प्ररूपणाएं
१५. नाम प्रकृति सत्त्वस्थान पर्याप्तापर्याप्त प्ररूपणा-गो.क
मार्गणा
कुल स्थान
मार्गणा
प्रति स्थान प्रकृति ( दे. सारणी,११)
कुल स्थान
प्रति स्थान प्रकृति (दे. सारणी ११)
१] अपर्याप्तक
अप. सातों समास
५
८२.८४,८८,६०,६२
३ | संज्ञी पर्याप्त
७७,७८,७६,८०,८२,
सर्व एके.वि. तथा
८२,८१,८८,६०,६२
८४,८८,१०,११,१२,६३
असंज्ञो पर्याप्त
१६.मोह स्थिति सत्वको ओघप्ररूपणा-(क.पा. ३/पृष्ठ) अन्तः= अन्तःकोडाकोड़ी सागर
प्रकृति
जघन्य स्थिति प्रमाण |
| क्षपक श्रेणी में ही सम्भव
क्र.
प्रकृति
| प्रमाण
जघन्य स्थिति क्षपक श्रेणी में ही सम्भव
मिथ्यात्व
२ समय
संज्वलन
माया
|२०६
अन्तः कम १/२ मास
सभ्य, मिथ्यात्व
२समय
लोभ
१समय
सम्यक्प्रकृति
१ समय
६ नोकषाय
संख्यात वर्ष
अनन्ता .४
२ समय
स्त्री वेद
१समय
८कषाय
२समय
पुरुष वेद
अन्त' कर्म व
संज्वलन क्रोध
अन्तः कम २ मास
नपुं. वेद
१समय
मान
अन्तः कम १मास
| संक्रमण होनेके पश्चात् २०५
शेष बची सम्यकप्रकृति
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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