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२० प्ररूपणाएं
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लेश्या
मार्गणा विशेष
पर्याप्त गुण | जीव अपर्याप्त स्थान समास
गुण स्थान
पर्याप्ति
प्राण
ल गति इन्द्रिय | काय |
योग
ज्ञान
कषाय
संयम
भा०४-३४
दर्शन
भव्य | सम्य, संज्ञित्व आहा. उपयोग
द्र. भा.
११ ४ सामान्य १ २ ६६१०/
७ अवि. सं. प. ६ पर्याप्ति |
सं. अप. ६ अपर्याप्ति
४४ । १ । पं. - त्रस मन ४, वच.४
औ.२, वै.२.
मति, श्रुत. असंयम केवल अवधि
बिना
| भव्य | औ..क्षा. | संज्ञी | आहा. | साकार क्षयो.
अना.
१२|४| पर्याप्त
१०
४
४
१ १ ६ अवि.सं. प. पर्याप्ति
१ पं.
वस मन, वच.४
मति, श्रुत. असंयम केवल
अबधि
भव्य | औ. क्षा. | संज्ञी | आहा. साकार क्षयो.
अना.
লিনা
१३/४ निवृत्ति १ । १ ।।
अपर्याप्त अवि. सं. प. अपर्याप्ति
पं. त्रस | औ. मि., पु.]
भव्य ।
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
. मति, श्रुत. असंयम केवलका अवधि
बिना
औ. क्षा. संज्ञा क्षयो.
आहा. साकार
अना.
२६५
वै. मि.
१४५ सामान्य १ । १ । ६
| (पर्याप्त ५ वाँ | सं.प. पर्याप्ति
पं.
वस
|मति, श्रुत. | देश सं. केवल अवधि
बिना
|
मन४, वच.४
औ..
शुभ भव्य
औ., क्षा. संज्ञी | आहा. साकार क्षयो.
अना.
मनु
१०/ ७
४
।
१५६ सामान्य १ २ ६६
प्रमत्त । सं. प. ६. पर्याप्ति
सं. अप. ६ अपर्याप्ति
१ | मनु
१ पं.
१ स
। मन४,षच.४,
औ., आ.
|
मति, श्रुत. सा., छे. केवल अब, मनः | परि. बिना
|
क्षयो.
शुभ भव्य | औ., क्षा. | संज्ञी | आहा. साकार,
अना.
१० ३१
१६ | ७ | पर्याप्त १ १ ६
| ही अप्रमत्त सं.प. पर्याप्ति
आ.
मनु | पं. | त्रस
|
शुभ भव्य
मन,वच.४
औ.१
मति, श्रुत. सा., छे. केवल | अव , मनः | परि. बिना
औ.,क्षा, | संशी आहा. साकार क्षयो,
अना.
२. सत् विषयक प्ररूपणाएं
रहित
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