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सत्त्व
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३. सत्त्व विषयक प्ररूपण एं
पहले
सत्त्व स्थान!
असत्त्ववाली प्रकृतियाँ
असत्त्व
अब सत्त्व योग्य
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भंग
सत्त्व योग्य
स्थान
विवरण
१२ । क्षीण कषाय-(गो. क./३८/५१६)-स्थान-८ भंग-८
संज्व, लोभ १ व्युच्छि.
तीर्थकर
आ, चतु.
आ. चतु.+ तीर्थ
द्विचरम समय
निद्रा, प्रचला =२ व्युच्छि..
चरम समय
तीर्थकर
आ. चतु.
आ, चतु.+तीर्थ
१३ । सयोगकेवली-(गो. क./३६०/५५७)-स्थान-४; भंग ४
५ ज्ञानावरण + ५ दर्शनावरण +४ अन्तराय-१४ व्युच्छि . तीर्थकर
xxxx
आहा. चतु.
आ. चतु.+तीर्थ
अयोग केवली- (गो. क./३६०/५५७)-स्थान -८; भंग-८
सयोगीवत चारों स्थान
द्वि चरम समय तक
व्युच्छित्ति-७२
( दे.सारणी नं.१)
चरम समय
तीर्थकर
व्युच्छित्ति-१३
चरम समयके अन्तमें
व्युच्छित्ति-१२
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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