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२६९
सत्
६. अधःकर्म आदि विषयक आदेश प्ररूपणा. १३/५.४/११-१२)
सं.
१ गति मार्गणा:
१
२
३
१
२
३
४
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मार्गणा
नरक गति सामान्य विशेष
तियंचगति सामान्य विशेष पर्याप्त
पंचेन्द्रिय अपर्या
मनुष्यगति सामान्य विशेष पर्याप्त
अपर्या
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१
२
२. इन्द्रिय मार्गणा :
१
२
३
देवगति सामान्य विशेष
१
२
३
४ योग मार्गणा :--
एकेन्द्रिय विकलेन्द्रिय
पंचेन्द्रिय पर्याप्त
पंचेन्द्रिय अपर्या
पाँचों स्थावर
त्रस पर्याप्त
अप
पाँचो मन वचन योग
औदारिक व औ. मिश्र काय योग
वै क्रियिक व वै. मिश्र काय योग
आहारक व आ. मिश्र काय योग
कार्मण काय योग
वेद मार्गणा :
तीनों वेद
अपगत वेद
1
६ कषाय मार्गणा
१
चारों कषाय
२
अकषाय
ज्ञान मार्गणा
:
१ मतिभूत अज्ञान न विभंग
२ मति ज्ञान
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प्रयोग कर्म
समवधान कर्म
अधः कर्म
ईर्याथ कर्म
तपः कर्म क्रियाकर्म
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१
२
३
४
२
३
४
अवधि मन:पर्ययज्ञान
केवल ज्ञान
संयम मार्गणा :--
२
मार्गा
संयत सामान्य
सामायिक धेोपस्थापना
सूक्ष्म साम्पराय
यथाख्यात
संयतास
५
६
९
१
२
केवल दर्शन १० छेदमा मार्गणा :
परिहार वि०
असंयत
दर्शन मार्गणा :
चः अचक्षु व अवधिदर्शन
शुक्ल
अलेश्य
कृष्ण, नील व कापोत लेश्या
पीत पद्म
११ सम्यक्त्वमार्गेणा
१ सामान्य क्षायिक, उपशम
क्षयोपशम
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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-:
३ सासादन व मिश्र
मिथ्यादर्शन
१२ मन्यत्व मार्गणा :
१
भव्य
२
अभव्य
१३ संधी मार्गणा
१
सेक्षी
२
असंज्ञी
१४ आहारक मार्गणा :
१ आहारक, अनाहारक
२. सत् विषयक प्ररूपणाऐं
प्रयोग कर्म
समवधान कम
अधःकर्म
ईर्यापथ कर्म
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तपः कर्म क्रिया कर्म
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७. पाँचों शरीरोंकी संघातन परिशातन कृति सम्बन्धी
* पाँचों शरीरोंके योग्य पुडुगल स्कन्धोंकी उत्कृष्ट जघन्य संघातन व परिशातन कृतियाँ ओघ व आदेश प्ररूपणा - ( ध. ६/४,१, ७१ / ३५४-३५८ )
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