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सूत्रांक
विषय
पृष्ठांक
४५ अधिक आहार अन्य श्रमणों को बिना पूछे परठने का प्रायश्चित्त
५१ शब्दार्थ, गोचरी लाने वाले की कुशलता, परिष्ठापन के पूर्व की क्रमिक विधि । ४६-४७ शय्यातर पिंड सम्बन्धी प्रायश्चित्त
५२-५३ विशिष्ट दोष, पर्याय शब्द, शय्यातर कौन होता है ? शय्यातर पिंड वस्तुएँ, शय्यातर पिंड में नहीं आने वाली वस्तुएँ, शय्यातर पिंड की वस्तुएं लेने का विकल्प, शय्यातर कब से, शय्यातर कब तक, अनेक साधुओं का पारस्परिक शय्यातर, शय्यातर पिंड ग्रहण से होने वाले दोष,
परिस्थितिक अपवाद । ४८ शय्यातर का घर जाने बिना गोचरी जाने का प्रायश्चित्त
५३-५४ शब्दार्थ, व्यक्ति को जानने का तरीका । शय्या की सक्रिय दलाली से आहार लेने का प्रायश्चित्त
दलाली का स्वरूप, शय्यातर सूत्र संख्या विचारणा । ५०-५१ शय्यातर संस्तारक के याचना काल के अतिक्रमण का प्रायश्चित्त
५५-५६ क्षम्य अतिक्रमण काल, शेष काल एवं चातुर्मास में घास पाट ग्रहण करना, अावश्यक कारण एवं उपयोगिता। वर्षा से भीगते पाट आदि को न हटाने का प्रायश्चित्त सूत्रोच्चारण का हेतु, लाक्षणिक अर्थ, हटाने एवं नहीं हटाने के दोषों की तुलना । शय्या-संस्तारक मालिक की बिना आज्ञा अन्यत्र ले जाने का प्रायश्चित्त सूत्र का आशय, अन्यत्र ले जाने की विधि, बिना आज्ञा से ले जाने के दोष, सुत्र संख्या
विचारणा। ५४-५५ शय्या-संस्तारक विधिवत न लौटाने का प्रायश्चित्त
खोये गये शय्या-संस्तारक की खोज नहीं करने पर प्रायश्चित्त ५७ प्रतिलेखन नहीं करने का प्रायश्चित्त
५९-६० सभी उपकरणों का दो वक्त प्रतिलेखन, प्रतिलेखन के समय की विचारणा, दो बार पात्र-प्रतिलेखन के समय का निर्धारण । उद्देशक का सूत्र क्रमांक युक्त सारांश
६०-६१ किन-किन सूत्रों का विषय अन्य आगामों में है अथवा नहीं है
उद्देशक ३ १-१२ अविधि के आहार की याचना करने का प्रायश्चित
६३-६६ दीन वृत्ति एवं अदीन वृत्ति, बारह सूत्रों का सार ।
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