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सोलहवां उद्देशक ]
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३४. जे भिक्खू असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा संथारए णिक्खिवइ, णिक्खिवंतं वा
साइज्जइ ।
३५. जे भिक्खू असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा वेहासे णिक्खिवइ, णिक्खिवंतं वा
साइज्जइ ।
३३. जो भिक्षु प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य भूमि पर रखता है या रखने वाले का अनुमोदन
"
करता है ।
३४. जो भिक्षु प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य संस्तारक पर रखता है या रखने वाले का अनुमोदन करता है।
३५. जो भिक्षु अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य छींके खूंटी आदि पर रखता है या रखने वाले का अनुमोदन करता है । ( उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त प्राता है ।)
विवेचन--- भिक्षु करपात्री या पात्रधारी होते हैं । अतः हाथ में, पात्र में या पात्र रखने के वस्त्र पर तो अशनादि रखा जा सकता है। किन्तु हाथ में या पात्र में ग्रहण किए हुए आहार को भूमि पर या आसन पर रखना नहीं कल्पता है ।
पृथ्वी पर अनेक प्रकार के मनुष्य तियंचादि जीव फिरते रहते हैं और वे प्रशुचिमय पदार्थों का जहाँ तहाँ परित्याग करते रहते हैं, भूमि पर अनेक प्रकार के अपवित्र पुद्गल पड़े रहते हैं, रज आदि भी रहती है, कीड़ो आदि अनेक प्रकार के प्राणी भी परिभ्रमण करते रहते हैं तथा भूमि पर खाद्य पदार्थ रखना लोकव्यवहार से भी अनुचित है, अतः सूत्र में इसका प्रायश्चित्त कहा गया है ।
वस्त्र का आसन या घास का संस्तारक अनेक दिनों तक उपयोग में आता रहता है । उस पर आहार रखने से आहार का अंश लेप लग जाने पर कीड़ियों के आने की सम्भावना रहती है । आसन में मैल पसीना आदि भी लगे रहते हैं । अतः आसन पर और इन्हीं कारणों से पहनने के वस्त्र, रजोहरणादि पर आहार रखना भी निषिद्ध समझ लेना चाहिए ।
खूंटी, छींके आदि पर रखने से कभी गिरने पर पात्रों के फूटने की सम्भावना रहती है । चूहे आदि भी वहां पहुँच कर काट सकते हैं, गिरा सकते हैं ।
इत्यादि कारणों से पृथ्वी पर आसन पर तथा छोंका आदि पर अशनादि रखना निषिद्ध है। और रखने पर लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है ।
प्रादेशिक परिस्थिति के कारण छोंका आदि में आहार को बाँधकर रखना आवश्यक हो तो छींका व उसका ढक्कन रखा जा सकता है, ऐसा निशीथ के दूसरे उद्देशक से स्पष्ट होता है ।
. खाद्य पदार्थों में कई लेपरहित शुष्क पदार्थ भी होते हैं । उन्हें पृथ्वी आदि पर रखने से उपर्युक्त दोष सम्भव नहीं हैं, फिर भी प्रमादरूप प्रवृत्ति हो जाने से दोष परम्परा बढ़ती है । अतः सूत्र में सामान्यरूप से सभी प्रकार के प्रशन आदि को रखने का प्रायश्चित्त कहा गया है ।
यदि असावधानी से कोई खाद्य पदार्थ भूमि पर गिर जाए और उस पर रज आदि अपवित्र
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