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सत्रहवां उद्देशक ]
प्रवृतियों में बाधा आने से अथवा अन्य भी ऐसे कारणों से निषेध समझना चाहिये तथा सामान्य गर्म प्रशनादि को ग्रहण किया जा सकता है, ऐसा समझना चाहिये ।
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गर्मागर्म आहार पानी को ग्रहण करने का वायुकाय आदि की विराधना किये बिना
यहां अनेक प्रतियों में गर्म आहार -पानी सम्बन्धी प्रायश्चित्त के दो सूत्र मिलते हैं, किन्तु भाष्य एवं चूर्णि में एक ही सूत्र की व्याख्या करके विषय पूर्ण किया गया है एवं आचारांगसूत्र में भी एक ही सूत्र है । अतः यहाँ भी मूलपाठ में एक सूत्र ही रखा गया है ।
तत्काल धोये पानी को ग्रहरण करने का प्रायश्चित्त
१३३. जे भिक्खू - १. उस्सेइमं वा, २. संसेइमं वा, ३. चाउलोदगं वा, ४. वारोदगं वा, ५. तिलोदगं वा, ६. तुसोदगं वा, ७. जवोदगं वा, ८. आयामं वा, ९. सोवीरं वा, १०. अंबकजियं वा, ११. सुद्धवियडं वा ।
१. अहुणाधोयं, २. अणंबिलं, ३. अवुक्कतं, ४. अपरिणयं ५. अविद्धत्थं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहें तं वा साइज्जइ ।
१३३. जो भिक्षु - १. उत्स्वेदिम, २. संस्वेदिम, ३. चावलोदक, ४. वारोदक, ५. तिलोदक, ६. तुषोदक, ७. यवोदक, ८. प्रोसामण, ९ कांजी, १०. ग्राम्लकांजिक, ११. शुद्ध प्रासुक जल ।
१. जो कि तत्काल धोया हुआ हो, २. जिसका रस बदला हुआ न हो, ३. जीवों का प्रतिक्रमण न हुआ हो, ४. शस्त्रपरिणत न हुआ हो, ५. पूर्ण रूप से प्रचित्त न हुआ हो ।
ऐसे जल को ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है । ( उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है 1 )
विवेचन - आगमों में अनेक जगह अचित्त शीतल जल अर्थात् धोवण पानी के नामों का कथन है । उनमें ग्राह्य पानी ग्यारह ही हैं, जो इस सूत्र में कहे गये हैं । इससे अधिक नाम जो भी उपलब्ध हैं वे सब ग्राह्य कहे गये हैं ।
ग्राह्य धोरण पानी बनने के बाद तुरन्त ग्राह्य नहीं होता है । करीब आधा घण्टा या मुहूर्त के बाद ग्राह्य होता है । चूर्णिकार ने समय-निर्धारण न करते हुए बुद्धि से ही समय निर्णय करने को कहा । तत्काल लेने पर तो प्रस्तुत सूत्रानुसार प्रायश्चित्त आता है ।
आगमों में अनेक प्रकार के अचित्त एवं एषणीय पानी लेने का विधान है और सचित्त एवं अनेषणीय पानी लेने का निषेध है ।
१. लेने योग्य पानी के १० नाम हैं- देखिए आ० सू० २, अ० १, उ०७, सू० ३६९-३७० - दश० प्र० ५, उ० १, गा० १०६ (७५) २. न लेने योग्य पानी के १२ नाम हैं - देखिए - ० सू० २ ० १, उ० ८, सू० ३७३ ॥ लेने योग्य पानी के आगमपाठ में और न लेने योग्य पानी के आगमपाठ में निश्चित संख्या सूचित नहीं है, किन्तु लेने योग्य पानी के श्रागमपाठ में अन्य भी ऐसे लेने योग्य पानी लेने का विधान
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