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बीसवां उद्देशक]
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३४. दो मास प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित्त वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन, हेतु या कारण से मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की प्रारोपणा का प्रायश्चित्त आता है। उसके बाद पुनः दोष सेवन कर ले तो डेढ मास का प्रायश्चित्त आता है।
३५. मासिक प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित्त वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन, हेतु या कारण से एक मास प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की प्रारोपणा का प्रायश्चित्त आता है। उसके बाद पुनः दोष सेवन कर ले तो डेढ मास का प्रायश्चित्त पाता है।
विवेचन-इसका विवेचन सूत्र १९-२४ के समान समझना चाहिए। अन्तर यह है कि वहाँ यश्चित्त वहन के मध्य में 'दो मास' के प्रायश्चित्त की स्थापिता आरोपणा का कथन है और यहाँ प्रायश्चित्त वहन के मध्य में एक मास के प्रायश्चित्त की स्थापिता-प्रारोपणा का कथन है। एक मास प्रायश्चित्त की प्रस्थापिता प्रारोपणा एवं वृद्धि
३६. दिवड-मासियं परिहारट्ठाणं पटुविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा पक्खिया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअटें सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं दो मासा।
३७. दो मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा पक्खिया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअळं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं अड्डाइज्जा मासा।
३८. अड्डाइज्ज-मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा पक्खिया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअट्ठ सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं तिण्णिमासा ।
३९. तेमासियं परिहारट्टाणं पट्टविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा पक्खिया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअळं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं अधुट्ठा मासा।
- ४०. अदुट्ठमासियं परिहारट्ठाणं पटुविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा पक्खिया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअळं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं चत्तारिमासा।
४१. चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता
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