Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 561
________________ [अनध्यायकाल १८. पतन - किसी बड़े मान्य राजा अथवा राष्ट्र पुरुष का निधन होने पर जब तक उसका दाहसंस्कार न हो तब तक स्वाध्याय न करना चाहिए। अथवा जब तक दूसरा अधिकारी सत्तारूढ न हो तब तक शनैः शनैः स्वाध्याय करना चाहिए । १९. राजव्युद्ग्रह - समीपस्थ राजाओं में परस्पर युद्ध होने पर जब तक शान्ति न हो जाए, तब तक उसके पश्चात् भी एक दिन रात्रि स्वाध्याय नहीं करें। २०. औदारिक शरीर - उपाश्रय के भीतर पंचेन्द्रिय जीव का वध हो जाने पर जब तक कलेवर पड़ा रहे, तब तक तथा १०० हाथ तक यदि निर्जीव कलेवर पड़ा हो तो स्वाध्याय नहीं करना चाहिए । अस्वाध्याय के उपरोक्त १० कारण प्रौदारिक शरीर सम्बन्धी कहे गये हैं । २१-२८ चार महोत्सव और चार महाप्रतिपदा - श्राषाढपूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा, कार्तिकपूर्णिमा और चैत्र पूर्णिमा ये चार महोत्सव हैं । इन पूर्णिमाओं के पश्चात् आने वाली प्रतिपदा को महाप्रतिपदा कहते हैं । इसमें स्वाध्याय करने का निषेध है । २९-३२. प्रातः सायं मध्याह्न और अर्धरात्रित्र - प्रातः सूर्य उगने से एक घड़ी पहिले तथा एक घड़ी पीछे । सूर्यास्त होने से एक घड़ी पहिले तथा एक घड़ी पीछे । मध्याह्न अर्थात् दोपहर में एक घड़ी आगे और एक घड़ी पीछे एवं अर्धरात्रि में भी एक घड़ी प्रागे तथा एक घड़ी पीछे स्वाध्याय नहीं करना चाहिए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.ury

Loading...

Page Navigation
1 ... 559 560 561 562 563 564 565 566 567