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उन्नीसवाँ अध्ययन]
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६. जो भिक्षु औषध साथ में लेकर ग्रामानुग्राम विहार करता है या विहार करने वाले का अनुमोदन करता है ।
७. जो भिक्षु प्रौषध को स्वयं गलाता है, गलवाता है या गला कर देने वाले से ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है । ( उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है ।)
विवेचन - प्रस्तुत सूत्रों में प्रयुक्त "वियड " शब्द का प्रयोग अनेक आगमों में अनेक अर्थों में हुआ है । यथा
१. बृहत्कल्प सूत्र उद्देशक २, सु. ४-७ में - शीतल पानी, गर्म पानी, सुरा श्रौर सौवीर के विशेषण रूप में प्रयोग हुआ है, यथा
१. सीओदग वियड कुंभे वा, २. उसिणोदग वियड कुभे वा, ३. सुरा विघड कुभे वा, ४. सोवीर वियड कुंभे वा, इत्यादि ।
२. बृहत्कल्प सूत्र उद्देशक २, सु. ११-१२ में - खुले गृह के अर्थ में "वियड " शब्द का प्रयोग हुआ है । निर्ग्रन्थ को ऐसे खुले गृह में ठहरने का विधान किया गया है और निर्ग्रन्थी को वहाँ ठहरने का निषेध किया गया है ।
३. दशाश्रुत स्कन्ध की दशा ६ में श्रावक को छट्टो प्रतिमा में दिवस भोजन के अर्थ में "वियडभोजी” शब्द प्रयुक्त है ।
४. प्रज्ञापना पद ९ में - जीवों के उत्पन्न होने के स्थान रूप एक प्रकार की "योनि" के अर्थ में "विड" शब्द प्रयुक्त है, यथा- "वियडा जोणी" ।
५. ठाणांग सूत्र प्र. ३ में – ग्लान भिक्षु के लिए किसी एक प्रकार की प्रोषध के अर्थ में "वियड” शब्द का प्रयोग है । वहाँ ग्लान के लिए तीन प्रकार की "वियडदत्ति" ग्रहण करने का विधान है ।
६. दशा. द. ८ में – गोचरी गए साधु के मार्ग में कहीं वर्षा आ जाने पर वहीं सुरक्षित स्थान में बैठकर श्राहार- पानी के सेवन कर लेने के विधान में “वियडगं भोच्चा पेच्चा" ऐसा पाठ है ।
७. प्राचा. श्रु. १, प्र. ९, उ. १, गा. १८ में भगवान् महावीर स्वामी ने किसी भी प्रकार का पाप कर्म न करते हुए, प्रधाकर्म दोष का सेवन न करते हुए "चित्त भोजन किया था" इस अर्थ में "विड" शब्द का प्रयोग है यथा-तं अकुव्वं वियडं भु ंजित्था । यहाँ स्वतन्त्र " वियड" शब्द प्रहार का बोधक है ।
इस प्रकार आगमों में जहाँ "वियड" शब्द अचित्त गर्म पानी का, अचित्त शीतल पानी का विशेषण है वहीं सुरा - सौवीर आदि "मद्य" का भी विशेषण है । प्रोषध, आहार- पानी, दिवस भोजन तथा शय्या एवं योनि अर्थ में भी है ।
प्रस्तुत प्रकरण में ठाणांग सूत्र . ३ में कहे गए विधान से सम्बन्धित प्रायश्चित्त का विषय है । दोनों स्थलों में "वियड " ग्रहण करने का सम्बन्ध बीमार के लिए किया गया है अतः यहाँ प्रौषध रूप अनेक पदार्थों को ही "वियड" शब्द से समझना चाहिए ।
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