Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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बीसवां उद्देशक]
[४४१ पलिउंचिय आलोएमाणे ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं । ठविए वि पडिसेवित्ता, से वि कसिणे तत्थेव आरूहेयव्वे सिया। १. पुब्विं पडिसेवियं पुव्विं आलोइयं, २. पुग्विं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, ३. पच्छा पडिसेवियं पुट्विं आलोइयं, ४. पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं । १. अपलिउंचिए अपलिउंचियं, २. अपलिउंचिए पलिउंचियं, ३. पलिउंचिए अपलिउंचियं, ४. पलिउंचिए पलिउंचियं । आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय आरूहेयन्वे सिया। जे एयाए पट्टवणाए पट्टविए निविसमाणे पडिसेवेइ, से विकसिणे तत्थेव आरूहेयध्वे सिया।
१७. जे भिक्खू बहुसो वि चाउम्मासियं वा, बहुसो वि साइरेग-चाउम्मासियं वा, बहुसो वि पंचमासियं वा, बहुसो वि साइरेग-पंचमासियं वा, एएसि परिहारट्ठाणाणं अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा,
अपलिउंचिय आलोएमाणे ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्ज वेयावडियं । ठविए वि पडिसेवित्ता से विकसिणे तत्थेव आल्हेयव्वे सिया। १. पुट्विं पडिसेवियं पुव्विं आलोइयं, २. पुव्विं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, ३. पच्छा पडिसेवियं पुव्विं आलोइयं, ४. पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं । १. अपलिउंचिए अपलिउंचियं, २. अपलिउंचिए पलिउंचियं, ३. पलिउंचिय अपलिउंचियं, ४. पलिउंचियए पलिउंचियं । आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय आरूहेयव्वे सिया। जे एयाए पढवणाए पट्टविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ, से विकसिणे तत्थेव आरूहेयम्वे सिया।
१८. जे भिक्खू बहुसो वि चाउम्मासियं वा, बहुसो वि साइरेग-चाउम्मासियं वा, बहुसो वि पंचमासियं वा, बहुसो वि साइरेग पंचमासियं वा एएसि परिहारट्ठाणाणं अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा,
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