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सत्रहवां उद्देशक]
[३९१ १२८-३२ पृथ्वी आदि की विराधना करके दिया गया आहार लेने का निषेध ।
-प्राचा. श्रु.२, अ.१, उ. ७ १३४ तत्काल बनाया हुआ अचित्त शीतल जल लेने का निषेध और चिरकाल का लेने का विधान।
-आचा. श्रु. २, अ. १, उ.७ १३७-१५६ शब्दश्रवण के लिये जाने का निषेध ।
-आचा. श्रु. २, अ. ११ इस उद्देशक के १२६ सूत्रों के विषयों का कथन अन्य आगमों में नहीं है
सूत्र १ से १२४ तक तथा सूत्र १३५, १३६ के विषयों का कथन अन्य आगमों में नहीं है, किन्तु माला, आभूषण आदि पहनने का दश. अ. ३ में सामान्य निषेध है तथा अन्य सांभोगिक साधु
आ जाय, उसे शय्या-संस्तारक देने वा विधान-प्राचा. श्रु. २, अ.७, उ. २ में है, किन्तु यहाँ सदृश निग्रन्थ का कथन है।
॥ सत्रहवां उद्देशक समाप्त ॥
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