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[निशीथसूत्र प्रस्तुत प्रायश्चित्तसूत्र प्रोत्सर्गिक उपधि से सम्बन्धित है। उसमें भी जिसकी गणना या प्रमाण (माप) आगम में उपलब्ध है उसी के उल्लंघन का प्रायश्चित्त इससे समझना चाहिए । शेष प्रायश्चित्त प्रमाणाभाव में परम्परागत समाचारी के अनुसार समझना चाहिए।
प्रस्तुत विवेचन में कतिपय उपकरणों का माप आगम में न होने के कारण अनुमान से स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है।
__ आगम निरपेक्ष अतिरिक्त उपधि रखने का गुरुचौमासिक प्रायश्चित्त आता है । कारण बिना या कारण के समाप्त हो जाने पर भी औपग्रहिक उपकरणों को रखने पर गुरुचातु मासिक प्रायश्चित्त पाता है । औपग्रहिक उपकरणों को सदा के लिए आवश्यक रूप से रखने की परम्परा चलाने पर उत्सूत्रप्ररूपणा का प्रायश्चित्त पाता है और रखने वालों को गुरुचौमासी प्रायश्चित्त प्राता है । अतः डंडा, कंबल, स्थापनाचार्य प्रादि किसी भी उपकरण का आग्रहयुक्त प्ररूपण करना मिथ्याप्रवर्तन समझना चाहिए। विराधना वाले स्थानों पर परठने का प्रायश्चित्त ।
४०. जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए उच्चार-पासवणं परिवेइ, परिवेतं वा साइज्जइ । ४१. जे भिक्खू ससिणिद्धाए पुढवीए उच्चार-पासवणं परिटवेइ, परिवेंतं वा साइज्जइ । ४२. जे भिक्खू समरक्खाए पुढवीए उच्चार-पासवणं परिट्टवेइ, परिवेंतं वा साइज्जइ । ४३. जे भिक्खू मट्टियाकडाए पुढवीए उच्चार-पासवणं परिटवेइ, परिवेतं वा साइज्जइ । ४४. जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए उच्चार-पासवणं परिटवेइ, परिवेंतं वा साइज्जइ । ४५. जे भिक्खू चित्तमंताए सिलाए उच्चार-पासवणं परिवेइ, परिढतं वा साइज्जइ । ४६. जे भिक्खू चित्तमंताए लेलए उच्चार-पासवणं परिटुवेइ, परिढुवेंतं वा साइज्जइ।
४७. जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारूए जीवपइट्ठिए, सअंडे जाव मक्कडा-संताणए उच्चारपासवणं परिढुवेइ, परिवेंतं वा साइज्जइ ।
४८. जे भिक्खू थूणंसि वा, गिहेलुयंसि वा, उसुयालंसि वा, कामजलंसि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि दुब्बद्धे, दुनिखित्ते, अनिकंपे, चलाचले उच्चार-पासवणं परिटुवेइ, परिवेतं वा साइज्जइ।
__ ४९. जे भिक्खू कुलियंसि वा, भित्तिसि वा, सिलंसि वा, लेलुसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि दुब्बद्ध, दुन्निखित्ते, अनिकंपे, चलाचले उच्चार-पासवणं परिढुवेइ, परिटुर्वेतं वा साइज्जइ।
५०. जे भिक्खू खंधंसि वा, फलिहंसि वा, मंचंसि वा, मंडवंसि वा, मालंसि वा, पासायंसि वा, हम्मियतलंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि, दुब्बद्धे, दुन्निखित्ते, अनिकपे, चलाचले उच्चार-पासवण परिटुवेइ, परिद्ववेतं वा साइज्जइ ।
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