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[निशीथसूत्र
५. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से तृण की माला यावत् हरित की माला पहनता है या पहनने वाले का अनुमोदन करता है ।
६. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से- १. लोहे का कड़ा, २. तांबे का कड़ा, ३. वपुष का कड़ा, ४. शीशे का कड़ा, ५. चांदी का कड़ा, ६. सुवर्ण का कड़ा, बनाता है या बनाने वाले का अनुमोदन करता है।
७. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से लोहे का कड़ा यावत् सुवर्ण का कड़ा रखता है या रखने वाले का अनुमोदन करता है ।
८. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से लोहे का कड़ा यावत् सुवर्ण का कड़ा पहनता है या पहनने वाले का अनुमोदन करता है।
९. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से-१. हार, २. अर्धहार, ३. एकावली, ४. मुक्तावली, ५. कनकावली, ६. रत्नावली, ७. कटिसूत्र, ८. भुजबन्ध, ९. केयर (कंठा), १०. कुडल, ११. पट्ट, १२. मुकुट, १३. प्रलम्बसूत्र, १४. सुवर्णसूत्र बनाता है या बनाने वाले का अनुमोदन करता है।
१०. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से हार यावत् सुवर्णसूत्र रखता है या रखने वाले का अनुमोदन करता है।
११. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से हार यावत् सुवर्णसूत्र पहनता है या पहनने वाले का अनुमोदन करता है।
१२. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से-१. मूषक आदि के चर्म से निष्पन्न वस्त्र, २. सूक्ष्म वस्त्र. ३. सूक्ष्म व सुशोभित वस्त्र, ४. अजा के सूक्ष्मरोम से निष्पन्न वस्त्र, ५. इन्द्रनीलवर्णी कपास से निष्पन्न वस्त्र, ६. सामान्य कपास से निष्पन्न सूती वस्त्र, ७. गौड देश में प्रसिद्ध या दुगुल वृक्ष से निष्पन्न विशिष्ट कपास का वस्त्र, ८. तिरोड वक्षावयव से निष्पन्न वस्त्र, ९. मलागार चन्दन के पत्रों से निष्पन्न वस्त्र. १०. बारीक बालों-तंतुओं से निष्पन्न वस्त्र, ११. दुगुल वृक्ष के आभ्यंतरावयव से निष्पन्न वस्त्र, १२. चीन देश में निष्पन्न अत्यन्त सूक्ष्म वस्त्र, १३. देश विशेष के रंगे वस्त्र, १४. रोम देश में बने वस्त्र, १५. चलने पर आवाज करने वाले वस्त्र, १६. स्फटिक के समान स्वच्छ वस्त्र, १७. वस्त्रविशेष कोतवो-वरको, १८. कंबल, १९. कंबलविशेष-खरडग पारिगादि पावारगा, २०. सिंधु देश के मच्छ के चर्म से निष्पन्न वस्त्र, २१. सिन्धु देश के सूक्ष्म चर्म वाले पशु से निष्पन्न वस्त्र, २२. उसी पशु की सूक्ष्म पशमी से निष्पन्न वस्त्र, २३. कृष्णमृग-चर्म, २४. नीलमृग-चर्म, २५. गौरमृग-चर्म, २६. स्वर्णरस से लिप्त साक्षात् स्वर्णमय दिखे ऐसा वस्त्र, २७. जिसके किनारे स्वर्णरसरंजित किये हो ऐसा वस्त्र, २८. स्वर्णरसमय पट्टियों से युक्त वस्त्र, २९. सोने के तार जड़े हए वस्त्र, ३०. सोने के स्तबक या फल जडे हये वस्त्र. ३१. व्याघ्रचर्म. ३२. चीते का चर्म. ३३. एक विशिष्ट प्रकार के प्राभरण युक्त वस्त्र, ३४. अनेक प्रकार के आभरण युक्त वस्त्र बनाता है या बनाने वाले का अनुमोदन करता है।
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