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सोलहवां अध्ययन]
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४०-५० पृथ्वी आदि की विराधना वाले तथा अन्तरिक्षजात स्थानों पर मल-मूत्र परठने का निषेध।
-प्राचा. श्रु. २, अ. १० इस उद्देशक के १८ सूत्रों के विषयों का कथन अन्य आगमों में नहीं है, यथासूत्र १२ अरण्य वन अटवी आदि में रहने तथा जाने-आने वालों से आहार नहीं लेना।
१३-१४ अल्प या विशेष चारित्रवान् के सम्बन्ध में विपरीत कथन नहीं करना। १६-२४
कदाग्रही से लेन-देन सम्पर्क नहीं करना । ३३-३५ भूमि, आसन पर या खूटी आदि पर आहार नहीं रखना। ३६-३७ गृहस्थ के साथ बैठकर या उसके सामने बैठकर आहार नहीं करना । गणना या परिमाण से अधिक उपधि नहीं रखना।
॥ सोलहवाँ उद्देशक समाप्त ॥
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