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[निशीथसूत्र
६३. जे भिक्खू संपसारियं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ । ४६. जो भिक्षु पार्श्वस्थ को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है । ४७. जो भिक्षु पार्श्वस्थ की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है। ४८. जो भिक्षु कुशील को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है। ४९. जो भिक्षु कुशील की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है । ५०. जो भिक्षु अवसन्न को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है। ५१. जो भिक्षु अवसन्न की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है । ५२. जो भिक्षु संसक्त को वन्दन करता है या करने वाला का अनुमोदन करता है । ५३. जो भिक्षु संसक्त की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है । ५४. जो भिक्षु नित्यक को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है । ५५. जो भिक्षु नित्यक की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है ।
५६. जो भिक्षु विकथा करने वाले को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
५७. जो भिक्षु विकथा करने वाले की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
__५८. जो भिक्षु नृत्यादि देखने वाले को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
____ ५९. जो भिक्षु नृत्यादि देखने वाले की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
६०. जो भिक्षु उपकरण आदि पर अत्यधिक ममत्व रखने वाले को वदन्न करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
६१. जो भिक्षु उपकरण आदि पर अत्यधिक ममत्व रखने वाले की प्रशंसा करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है ।
६२. जो भिक्षु असंयतों के प्रारम्भ-कार्यों का निर्देशन करने वाले को वन्दन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है ।
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