________________
३२८]
[निशीथसूत्र ८. जे भिक्खू सचित्त-पइट्ठियं अंबं विडंसइ, विडंसंतं वा साइज्जइ ।
९. जे भिक्खू सचित्तं-१. अंबं वा, २. अंब-पेसि वा, ३. अंब-भित्तं वा, ४. अंब-सालगं वा, ५. अंबडगलं वा, ६. अंबचोयगं वा भुजइ, भुजंतं वा साइज्जइ ।
१०. जे भिक्खू सचित्तं अंबं वा जाव अंबचोयगं वा विडंसइ विडंसंतं वा साइज्जइ । ११. जे भिक्खू सचित्त-पइट्ठियं अंबं वा जाव अंबचोयगं वा भुजइ, भुजंतं वा साइज्जइ । १२. जे भिक्खू सचित्त-पइट्ठियं अंबं वा जाव अंबचोयगं वा विडंसइ, विडंसंतं वा साइज्जइ । ५. जो भिक्षु सचित्त आम खाता है या खाने वाले का अनुमोदन करता है। ६. जो भिक्षु सचित्त प्राम चूसता है या चूसने वाले का अनुमोदन करता है । ७. जो भिक्षु सचित्त-प्रतिष्ठित आम खाता है या खाने वाले का अनुमोदन करता है । ८. जो भिक्षु सचित्त-प्रतिष्ठित प्राम चूसता है या चूसने वाले का अनुमोदन करता है ।
९. जो भिक्षु सचित्त १. प्राम को, २. आम की फांक को ३. प्राम के अर्द्धभाग को, ४. ग्राम के छिलके को (अथवा आम के रस को), ५. आम के गोल टुकड़ों को, ६. आम की केसराओं को (अथवा आम के छिलके को) खाता है या खाने वाले का अनुमोदन करता है।
१०. जो भिक्षु सचित्त बाम को यावत् ग्राम की केसराओं को चूसता है या चूसने वाले का अनुमोदन करता है।
११. जो भिक्षु सचित्त-प्रतिष्ठित ग्राम की यावत् प्राम की केसरात्रों को खाता है या खाने वाले का अनुमोदन करता है।
१२. जो भिक्षु सचित्त-प्रतिष्ठित आम को यावत् आम की केसराओं को चूसता है या चूसने वाले का अनुमोदन करता है। [उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त पाता है ।
विवेचन-इन सूत्रों में सचित्त आम्र फल खाने का प्रायश्चित्त कहा है। यहां भाष्यकार ने उपलक्षण से अन्य सभी प्रकार के सचित्त फलों के खाने का प्रायश्चित्त भी इन सूत्रों से समझ लेने का सूचित किया है।
प्रथम सूत्रचतुष्टय में अखण्ड आम के खाने या चूसने का प्रायश्चित्त कहा है तथा द्वितीय सूत्रचतुष्टय में उसके विभागों [खंडों को खाने या चूसने का प्रायश्चित्त कहा है। इस सूत्रचतुष्टय में पुन: 'अंबं वा' पाठ आया है जो चूर्णिकार के सामने भी था किन्तु आचा. श्रु. २ अ. ६ उ. २ में पुनः अंबं शब्द का प्रयोग नहीं है । अन्य शब्दों के क्रम में भी दोनों आगमों में अन्तर है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org