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[निशीथसूत्र
१. जो भिक्षु १. धर्मशाला में, २. उद्यानगृह में, ३. गृहस्थ के घर में या ४. परिव्राजक के आश्रम में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है, स्वाध्याय करता है, प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य का आहार करता है, उच्चार-प्रस्रवण परठता है या कोई साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है ।
२. जो भिक्षु १. नगर के समीप ठहरने के स्थान में, २. नगर के समीप ठहरने के गृह में, ३. नगर के समीप ठहरने की शाला में, ४. राजा आदि के नगर, निर्गमन के समय में ठहरने के स्थान में, ५. घर में, ६. शाला में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है ।
३. जो भिक्षु १. प्राकार के ऊपर के गृह में, २. प्राकार के झरोखे में, ३. प्राकार व नगर के बीच के मार्ग में, ४. प्राकार में, ५. नगरद्वार में या ६. दो द्वारों के बीच के स्थान में अकेला, अकेली
साथ रहता है यावत साधू के न कहने योग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है।
४. जो भिक्षु १. जलाशय में पानी पाने के मार्ग में, २. जलाशय से पानी ले जाने के मार्ग में, ३. जलाशय के तट पर, ४. जलाशय में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है ।
५. जो भिक्षु १. शून्यगृह में, २. शून्यशाला में, ३. खण्डहरगृह में, ४. खण्डहरशाला में, ५. झोंपड़ी में, ६. धान्यादि के कोठार में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के अयोग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है ।
६. जो भिक्षु १. तृणगृह में, २. तृणशाला में, ३. शालि आदि के तुषगृह में, ४. तुषशाला में, ५. मूग उड़द आदि के भुसगृह में, ६. भुसशाला में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के अयोग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है।
७. जो भिक्षु १. यानगृह में, २. यानशाला में, ३. वाहनगृह में या ४. वाहनशाला में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के अयोग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है।
८. जो भिक्षु १. विक्रयशाला (दूकान) में, २. विक्रयगृह (हाट) में, ३. चने आदि बनाने को शाला में या ४. चूना बनाने के गृह में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के अयोग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है ।
९. जो भिक्षु १. गौशाला में, २. गौगृह में, ३. महाशाला में या ४. महागृह में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के अयोग्य कामकथा कहता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है।
(उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है ।) विवेचन--- इन सभी सूत्रोक्त स्थानों में तथा अन्य किसी भी स्थान में साधु को अकेली स्त्री
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