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[निशीथसूत्र सूत्र १३ आगन्तुक साधु को आश्रय देने का प्रायश्चित्त । सूत्र १४ अनुपशान्त के साथ आहार करने का प्रायश्चित्त । सूत्र १५-२४ प्रायश्चित्तों की विपरीत प्ररूपणा आदि का प्रायश्चित्त । सूत्र ३०-३३ ग्लान की सेवा का निर्देश सूयगडांग अ. ३ तथा अन्य आगमों में भी है, किन्तु यहाँ
स्पष्ट सूचनायुक्त विशेष प्रायश्चित्त कहे हैं । सूत्र ३६-४० पर्युषणा के विशेष विधान और प्रायश्चित्त ।
॥ दसवां उद्देशक समाप्त ॥
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