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आठवां उद्देशक]
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स्त्री के साथ रात्रि में गमनागमन करने का प्रायश्चित्त--
१३. जे भिक्खू णायगं वा, अणायगं वा, उवासगंवा, अणुवासगं वा, अंतो उवस्सयस्स अद्धं वा राई, कसिणं वा राई संवसावेइ, तं पडुच्च णिक्खमइ वा, पविसइ वा, णिक्खमंतं वा, पविसंतं वा साइज्जइ।
१३. जो भिक्षु स्वजन या परजन (अन्य), उपासक या अन्य किसी भी स्त्री को अर्द्धरात्रि या पूर्णरात्रि उपाश्रय के अन्दर रखता है या उसके निमित्त गमनागमन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
. (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त प्राता है ।)
विवेचन-पूर्व सूत्र में स्त्री के रखने का प्रायश्चित्त कहा है। तदनन्तर कहे गए इस सूत्र का भाव यह है कि साधु स्त्री को न रखे और मना करने पर भी यदि कोई स्त्री वहां परिस्थितिवश रह जाये तो रात्रि में शारीरिक बाधा से वह बाहर जावे तो उसके निमित्त उसके साथ जाना-माना नहीं करना चाहिए।
साथ जाने-माने में दो कारण हो सकते हैं-१. स्त्री को भय लगता हो, २. अथवा साधु को भय लगता हो।
रात्रि में उनके साथ बाहर जाने-आने में अनेक प्रकार के दोषों की एवं आशंकाओं की सम्भावना रहती है। मूर्द्धाभिषिक्त राजा के महोत्सवादि स्थलों से आहार ग्रहण करने का प्रायश्चित्त
१४. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं, १. समवाएसु वा, २. पिंडनियरेसु वा, ३. इंदमहेसु वा, ४. खंदमहेसु वा, ५. रुद्दमहेसु वा, ६. मुगुदमहेसु वा, ७. भूयमहेसु वा, ८. जक्खमहेसु वा, ९. णागमहेसु वा, १०. थूभमहेसु वा, ११. चेइयमहेसु वा, १२. रुक्खमहेसु वा, १३. गिरिमहेसु वा, १४. दरिमहेसु वा, १५. अगडमहेसु वा, १६. तडागमहेसु वा, १७. दहमहेसु वा, १८. गइमहेसु वा, १९. सरमहेसु वा, २०. सागरमहेसु वा, २१. आगारमहेसु वा, अण्णयरेसु वा, तहप्पगारेसु विरूवरूवेसु महामहेसु असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।
१५. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं उत्तरसालंसि वा, उत्तरगिहंसि वा, रीयमाणाणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।
१६. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं १. हयसाला-गयाण वा, २. गयसालागयाण वा, ३. मंतसालागयाण वा, ४. गुज्झसालागयाण वा, ५. रहस्ससालागयाण वा, ६. मेहुणसालागयाण वा असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ।
१७. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं सण्णिहिसण्णिचयाओ खीरं वा,
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