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[निशोषसूत्र
भोजन, निवासस्थान, राज्याभिषेक ग्रादि प्रसंगों के संबंध में विवेक रखने का सूचन किया गया है तो इस सूत्र में उन बड़े राजाओं की राजधानी में बारम्बार प्रवेश का निषेध और प्रायश्चित्त सूचित किया है।
भाष्य में अन्य अनेक संयम सम्बन्धी दोषों की सम्भावनाएं भी कही हैं। इन राजधानियों में अनेक महोत्सव राजा के तथा नगरवासियों के होते रहते हैं । नृत्य, गीत, वादित्र वादन, स्त्री पुरुषों के अनेक मोहक रूप आदि विषयवासनावर्धक वातावरण रहता है। यह देखकर भुक्तभोगी को पूर्वकालिक स्मृति, अभुक्त को कुतूहल आदि से संयम-अरति एवं असमाधि उत्पन्न हो सकती है तथा जनता के कोलाहल आदि से स्वाध्याय, ध्यान की भी हानि होती है । वाहनों को प्रचुरता से और जनाकोर्ण मार्ग रहने से भिक्षागमन आदि में संघट्टन परिघट्टन आदि होते हैं, इत्यादि दोषों के कारण इन दम बड़ी राजधानियों में तथा ऐसी अन्य बड़ी नगरियों में भी बारम्बार जाना-पाना संयमी के लिए हितकर नहीं है। राजा के अधिकारी व कर्मचारी वर्ग के निमित्त बना हा आहार ग्रहण करने का प्रायश्चित्त
:- २१. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा साइमं वा परस्स नोहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ।
तंजहा-१. खत्तियाण वा, २. राईण वा, ३. कुराईण वा, ४. रायवंसियाण वा, ५. रायपेसियाण वा।
२२. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।
___ तंजहा–१. णडाण वा, २. गट्टाण वा, ३. कच्छ्याण वा, ४. जल्लाण वा, ५. मल्लाण वा, ६. मुट्टियाण वा, ७. वेलंबगाण वा, ८. खेलयाण वा, ९. कहगाण वा, १० पवगाण वा, ११. लासगाण वा।
२३.. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, परस्स. णीहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ।
. तंजहा–१. आस-पोसयाण वा, २. हत्थि-पोसयाण वा, ३. महिस-पोसयाण वा, ४. वसहपोसयाण वा, ५. सीह-पोसयाण वा, ६. वग्घ-पोसयाण वा, ७. अय-पोसयाण वा, ८. पोय-पोसयाण वा, ९. मिग-पोसयाण वा, १०. सुणय-पोसयाण वा, ११. सूयर-पोसयाण वा, १२. मेंढ-पोसयाण वा, १३. कुक्कुड-पोसयाण वा, १४. मक्कड-पोसयाण वा, १५. तित्तिर-पोसयाण वा, १६. वट्टय-पोसयाण वा, १७. लावय-पोसयाण वा, १८. चीरल्ल-पोसयाण वा, १९. हंस-पोसयाण वा, २०. मयूर-पोसयाण वा, २१. सुय-पोसयाण वा।
२४. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।
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