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सूत्रांक
विषय
४०-५० विराधना वाले स्थानों में मल-मूत्र परठने का प्रायश्चित्त उद्देशक का सूत्रक्रमांकयुक्त सारांश
१-१४ कुतूहल की अनेक प्रवृत्तियों का प्रायश्चित
१५ - १२२ श्रमण श्रमणी का परस्पर गृहस्थ द्वारा शरीरपरिकर्म करवाने का प्रायश्चित्त
१२३ - १२४ सदृश नियंन्ध निग्रंथी को स्थान न देने का प्रायश्चित्त
१२५-१२७ मालोपहृत और मट्टिओपलिप्त दोष का प्रायश्चित्त
किन-किन सूत्रों के विषय का वर्णन अन्य आगमों में है या नहीं है
उद्देशक १७
मालोपहृत का सही अर्थ एवं दोष, मट्टिओपलिप्त का अर्थविस्तार ।
१२६ १३१ सचित्त पृथ्वी, पानी आदि पर से आहार लेने का प्रायश्चित्त वायुकाय की विराधना से आहार लेने का प्रायश्चित
तत्काल धोये धोवण लेने का प्रायश्चित्त
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१३३
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"
धोषण अनेक प्रकार के विभिन्न आगमों में घोषण वर्णन, उदाहरण रूप में सूचित आगम के कस्थ्य प्रकल्प्य धोवण की नामावलि, गर्म जल, धोवण को चख कर लेना, सोवीर और आम्लकiजिक विचारणा, शुद्धोदक का भ्रमित अर्थ एवं समाधान, साधु का स्वयं ही पानी लेना, अचित्त पानी पुनः सचित्त कब अर्थात् धोवण और गर्म पानी का अचित्त रहने का काल और उसके प्राचीन प्रमाण तपस्या में भी धोरण पानी का विधान, सारांश ।
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स्वयं को आचार्य लक्षणों से युक्त होने का प्रचार करने का प्रायश्चित्त शारीरिक लक्षण कथन, अभिमान से हानि, विवेकज्ञान । गायन आदि करने का प्रायश्चित्त
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१३६ - १५५ विभिन्न शब्द श्रवणार्थ गमन एवं आसक्ति का प्रायश्चित्त
तत, वितत आदि का अर्थ, विवेकज्ञान, १२वें उद्देशक की भलावण । उद्देशक का सूत्रक्रमांकयुक्त साराँश
किन-किन सूत्रों का विषय अन्य आगमों में है या नहीं है
उद्देशक १८
१-३२ नौकाविहार सम्बन्धी प्रायश्चित
नौकाविहार के कारण प्रकारण, "जोयण मेरा" का अर्थ, बत्तीस सूत्रों का अलग-अलग
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