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[निशीयसूत्र तीव्र मोहोदय से (प्रासक्ति से) लगने वाले अतिचारादि के प्रायश्चित्त
क्रम प्रायश्चित्तनाम
जघन्य तप
मध्यम तप
उत्कृष्ट तप
१. लघुमास चार उपवास पन्द्रह उपवास
सत्तावीस उपवास २. गुरुमास चार उपवास, पन्द्रह उपवास,
तीस उपवास, चौविहार त्याग चौविहार त्याग चौविहार त्याग ३. लघु चौमासी चार बेले, पारणे में चार तेले, पारणे में एक सौ आठ उपवास, आयंबिल प्रायंबिल
पारणे में आयंबिल ४. गुरु चौमासी चार तेले, पारणे में पन्द्रह तेले, पारणे में एक सौ बीस उपवास,
आयंबिल या ४० दिन आयंबिल या ६० दिन पारणे में आयंबिल या का दीक्षाछेद का दीक्षाछेद
पुनः दीक्षा या १२० दिन
का दीक्षाछेद । सामान्य विवक्षा से जघन्य और उत्कृष्ट दो प्रकार के प्रायश्चित्तों में भी सभी प्रकार के प्रायश्चित्त समाविष्ट हो जाते हैं।
__भाष्यकार ने विशेष विवक्षा से तीन प्रकार के प्रायश्चित्त कहे हैं-१. जघन्य, २. मध्यम, ३. उत्कृष्ट ।
प्रतिसेवी की वय, सहिष्णुता और देश-काल के अनुसार गीतार्थ मुनि तालिका में कहे प्रायश्चित्त से हीनाधिक तप-छेद आदि दे सकते हैं। एक उपवास के समकक्ष तप१. अडतालीस नवकारसी
एक उपवास २. चौवीस पोरसी ३. सोलह डेढ़ पोरसी ४. आठ पुरिमार्ध (दो पोरसी) ५. चार एकाशन ६. निवी तीन ७. दो आयंबिल
[२] ८. दो हजार गाथाओं का स्वाध्याय [२०००]
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