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दूसरा उद्देशक]
[३३.
इस प्रकार पादपोंछन से पैरों पर लगी हुई अचित्त रज पोंछना, रजोहरण से पादपोंछन का प्रमार्जन कर उस पर बैठना-तथा मलविसर्जन के समय पादप्रोञ्छन का उपयोग करना इत्यादि कार्य आगमों में विहित हैं, अतः रजोहरण और पादपोंछन भिन्न-भिन्न उपकरण हैं क्योंकि रजोहरण से तो प्रमार्जन होता है और पादपोंछन से पैर आदि पोंछे जाते हैं । इस प्रकार दोनों के अर्थ और उपयोग भिन्न-भिन्न हैं। २. काष्ठदण्डयुक्त पादपोंछन
रजोहरण से उपाश्रय के जिस स्थल का प्रमार्जन करना शक्य न हो और उस स्थल का प्रमार्जन करना किसी विशेष कारण से अनिवार्य हो तो पादपोंछन के मध्य में काष्ठ दण्ड बांधकर उसका उपयोग किया जाता है ऐसा बृहत्कल्प उ. ५ से स्पष्ट होता है।।
व्याख्या ग्रंथों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि व्याख्याकारों ने कहीं कहीं रजोहरण और पादपोंछन को एक ही उपकरण मान लिया है किन्तु बहत्कल्प उ० २, सु० ३० तथा स्थानांग अ० ५, उ०३ में कहे गए पांच प्रकार के रजोहरणों से पादपोंछन और काष्ठदण्डयुक्त पादपोंछन भिन्न उपकरण हैं। रजोहरण से प्रादप्रोंछन की भिन्नता
रजोहरण प्रातिहारिक नहीं लिया जाता किन्तु निशीथ उद्दे० ५, सू० १५-१८ में प्रातिहारिक पादपोंछन निश्चित समय पर न लौटाने का प्रायश्चित्त विधान होने से उसका प्रातिहारिक लेना सिद्ध है।
रजोहरण के काष्ठदण्ड पर वस्त्र लपेटा हुअा रहता है और पादपोंछन युक्त काष्ठदण्ड पर वस्त्र लपेटा हुआ नहीं रहता है ।।
पादपोंछन का उपयोग पैर पोंछने के अतिरिक्त मलविसर्जन के समय भी किया जाता है और यदा कदा उस पर बैठ भी सकते हैं किन्तु उक्त दोनों कार्य रजोहरण से होना सम्भव नहीं हैं अपितु रजोहरण पर बैठना, सोना, सिरहाने रखना आदि कार्यों का निशीथ उ० ५ में प्रायश्चित्त कहा गया है।
निशीथ उद्देशक ४ सूत्र ३० में निर्ग्रन्थियों के आगमन पथ पर रजोहरण आदि रखने पर प्रायश्चित्त विधान है किन्तु वहाँ पादपोंछन का कथन नहीं है।
निग्रंथ काष्ठदण्डयुक्त पादपोंछन अनिवार्य-पापवादिक स्थिति में डेढ मास रख सकता है और निग्रंथी अपनी विशेष समाचारी के अनुसार अनिवार्य आपवादिक स्थिति में भी काष्ठदंडयुक्त पादपोंछन नहीं रख सकती है किन्तु काष्ठदंडयुक्त रजोहरण तो दोनों को रखना अनिवार्य होता है।
___ इस प्रकार पादपोंछन, काष्ठदण्डयुक्त पादपोंछन और रजोहरण, इन तोनों का अन्तर स्पष्ट है।
दश० अ० ४ में तथा प्रश्न० श्रु० २, अ० ५ में श्रमणों के उपकरण कहे हैं, उनमें रजोहरण और पादपोंछन के अलग अलग नाम हैं ।
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