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[ निशीथसूत्र
१०.
जे भिक्खू आगंतारे वा, आरामागारेसु वा, गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा 'अण्णउत्थि एहि वा गारत्थि एहि वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहट्टु देज्जमाणं पडिसेहेत्ता, तमेव अणुवत्तिय अणुवत्तिय, परिवेदिय परिवेढिय, परिजविय - परिजविय, ओभासिय- ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ ।
६४]
११. जे भिक्खू आगंतारेसु वा, आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा 'अण्णउत्थिणीए वा गारत्थिणीए वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहट्ट देज्जमाणं पडिसेहेत्ता, तमेव अणुवत्तिय अणुवत्तिय, परिवेढिय परिवेढिय, परिजविय - परिजविय, ओभासिय- ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ ।
१२. जे भिक्खू आगंतारेसु वा, आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा, 'अण्णउत्थिणीहि वा गारत्थिणीहि वा' असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहट्ट देज्जमाणं पडिसेहेत्ता तमेव अणुवत्तिय अणुवत्तिय, परिवेढिय परिवेढिय, परिजविय - परिजविय, ओभासिय- ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ ।
१. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में तीर्थिक से या गृहस्थ से प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है ।
गृहस्थों के घरों में अथवा श्राश्रमों में अन्यमांग-मांग कर याचना करता है या मांग-मांग
२. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में अथवा आश्रमों में अन्यतीर्थों से या गृहस्थों से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य मांग-मांग कर याचना करता है या मांग-मांग कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है।
३. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में अथवा आश्रमों में अन्यतीर्थिक या गृहस्थ स्त्री से प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य मांग-मांग कर याचना करता है या मांग-मांग कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है ।
४. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहां में, गृहस्थों के घरों में अथवा प्राश्रमों में अन्यतीर्थिक या गृहस्थ स्त्रियों से अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य मांग-मांग कर याचना करता है या मांगमांग कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है ।
५. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में गृहस्थों के घरों में या आश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिक से या गृहस्थ से प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य मांग-मांग कर याचना करता है या मांगमांग कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है ।
६. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों में या ग्राश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिकों से या गृहस्थों से प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य मांग-मांग कर याचना करता है या मांगमांग कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है ।
७. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में गृहस्थों के घरों में या श्राश्रमों में कौतूहलवश अन्यतीर्थिक या गृहस्थ स्त्री से प्रशन, पान, खाद्य या स्वाद्य मांग-मांग कर याचना करता है या मांगमांग कर याचना करने वाले का अनुमोदन करता है ।
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