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[निशोथसूत्र
१२६] इस उद्देशक के निम्न ३७ सूत्रों के विषयों का कथन अन्य आगमों में नहीं है, यथासूत्र १-३० राजा आदि को वश में करना। सूत्र ३३ स्थापनाकुलों को जाने बिना भिक्षाचर्या के लिए जाना। सूत्र ३४ निर्ग्रन्थियों के उपाश्रय में अविधि से प्रवेश करना । सूत्र ३५ निर्ग्रन्थियों के आगमनपथ में दण्डादि रख देना। सूत्र ३८ . मुंह फाड़-फाड़कर हँसना । सूत्र ३९-४८ पासत्थादि को अपना संघाडा देना या उनका संघाडा लेना। सूत्र ८८ मलद्वार से कृमि निकालना । सूत्र ८९ परस्पर एक दूसरे के अकारण नख काटना । सूत्र ९६-९८ दांतों का परिकर्म करना । सूत्र ९९-१०५ होठों का परिकर्म करना। सूत्र १०५-१११ चक्षु का परिकर्म करना। सूत्र ११७ ग्रामानुग्राम विहार करते समय परस्पर एक दूसरे का मस्तक ढंकना । सूत्र ११९ तीन उच्चार-प्रस्रवणभूमियों का प्रतिलेखन न करना। सूत्र १२१ मल-मूत्र प्रविधि से त्यागना । सूत्र १२२ मल-मूत्र त्याग कर मल द्वार न पौंछना । सूत्र १२३ मलद्वार को काष्ठ आदि से पौंछना। सूत्र १२४ मलद्वार की शुद्धि न करना। सूत्र १२५ मल-मूत्र पर ही शुद्धि करना । सूत्र १२६ मल-मूत्र त्यागने के स्थान से अधिक दूर जाकर शुद्धि करना। सूत्र १२७ मल-मूत्र त्यागकर तीन पसली से अधिक पानी लेकर शुद्धि करना । सूत्र १२८ पारिहारिक के साथ गोचरी जाना।
॥चौथा उद्देशक समाप्त ॥
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