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[निशीथसूत्र
सूत्र १५ सूत्र १६
तृतीय उद्देशक का सारांशसूत्र १ धर्मशाला आदि स्थानों में एक पुरुष से मांग-मांग कर याचना करना। सत्र २ धर्मशाला आदि स्थानों में अनेक परुषों से मांग-मांग कर याचना करना। सूत्र ३ धर्मशाला आदि स्थानों में एक स्त्री से मांग-मांग कर याचना करना । सूत्र ४ धर्मशाला आदि स्थानों में अनेक स्त्रियों से मांग-मांग कर याचना करना। सूत्र ५.८ धर्मशाला आदि स्थानों में कौतुकवश मांग-मांग कर याचना करना। सूत्र ९-१२ धर्मशाला आदि स्थानों में अदृष्ट स्थान से आहार लाकर देने पर एक बार निषेध करके
पुनः उसके पीछे-पीछे जाकर याचना करना। सूत्र १३ गृहस्वामी के मना करने पर भी पुनः उसके घर आहार आदि लेने के लिये जाना । सूत्र १४ सामूहिक भोज (बड़े जीमनवार) के स्थान पर आहार के लिये जाना।
तीन गृह (कमरे) के अन्तर से अधिक दूर का लाया हुआ आहार लेना।
पैरों का प्रमार्जन करना। सूत्र १७ पैरों का मर्दन करना । सूत्र १८ पैरों का अभ्यंगन करना । सूत्र १९
पैरों का उबटन करना। सूत्र २० पैरों का प्रक्षालन करना। सूत्र २१ पैरों को रंगना । सूत्र २२-२७ काया का प्रमार्जन आदि करना । सूत्र २८-३३ व्रण का प्रमार्जन आदि करना। सूत्र ३४ गंडमाला आदि का छेदन करना। सूत्र ३५ गंडमाला आदि का पीव व रक्त निकालना। सूत्र ३६ गंडमाला आदि का प्रक्षालन करना । सूत्र ३७ गंडमाला आदि पर विलेपन करना। सूत्र ३८ गंडमाला आदि पर तैलादि का मलना । सूत्र ३९ गंडमाला आदि पर सुगंधित पदार्थ लगाना । सूत्र ४० गुदा के बाह्य भाग या भीतरी भाग के कृमि निकालना । सूत्र ४१ नख काटना। सूत्र ४२ जंघा के बाल काटना । सूत्र ४३ गुह्य स्थान के बाल काटना । सूत्र ४४
रोमराजि के बाल काटना। सूत्र ४५ बगल-काँख के बाल काटना । सूत्र ४६
दाढी के बाल काटना सूत्र ४७ मूछ के बाल काटना । सूत्र ४८-५० दांतों को घिसना, धोना, रंगना । सूत्र ५१-५६ होठों का प्रमार्जन आदि करना।
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