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दूसरा उद्देशक]
२१. जो भिक्षु अल्प अचित्त शीत या उष्ण जल से हाथ, पैर, कान, आँख, दाँत, नख या मुह आदि को प्रक्षालित करता है, धोता है या प्रक्षालन करने वाले का या धोने वाले का अनुमोदन करता है, (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त पाता है।)
विवेचन-सूत्र १८-१९-२० में क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय महाव्रत सम्बन्धी दोषों का प्रायश्चित्त कहा है। आगे के सूत्र २२-२३-२४ में पाँचवें महाव्रत सम्बन्धी दोषों का प्रायश्चित्त कहा है । अतः इस सूत्र में चौथे महाव्रत सम्बन्धी दोष का प्रायश्चित्त समझना चाहिए क्योंकि स्नान को 'कामांग' और ब्रह्मचर्य का दूषण कहा गया है अतः यहाँ देश-स्नान रूप प्रवृत्ति का प्रायश्चित्त है ।
भोजन करने के बाद मणिबन्ध पर्यंत लिप्त हाथों को धोना यहाँ प्रायश्चित्त योग्य नहीं है तथा मल-मूत्रादि के लेप युक्त पांव आदि को धोकर साफ करना भी कल्प्य है।
ये सामान्य कारण हैं । इसके सिवाय निष्कारण प्रक्षालन की प्रवृत्तियाँ निषिद्ध समझनी चाहिए । वे प्रवृत्तियाँ बाकुशी प्रवृत्तियाँ कही जाती हैं, उन्हीं का इस सूत्र से प्रायश्चित्त समझना चाहिए। कृत्स्न चर्म धारण का प्रायश्चित्त
२२. जे भिक्खू कसिणाई चम्माइं धरेइ, धरतं वा साइज्जइ ।
२२. जो भिक्षु अखण्ड चर्म धारण करता है या धारण करने वाले का अनुमोदन करता है, (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
विवेचन-भाष्यकार ने "कसिण के चार प्रकार बताये हैं। वे साधु को नहीं कल्पते हैं, प्रस्तुत सूत्र में" सकल-कसिण का प्रायश्चित्तविधान है, जिसका अर्थ अखण्ड पूर्ण चर्म होता है। शेष तीन प्रकार
१. प्रमाण "कसिण"-जूता आदि । २. वर्ण "कसिण"-उज्ज्वल (सुन्दर वर्ण वाला) पाँचों वर्ण में से किसी एक वर्ण युक्त ।
३. बंधण "कसिण"-आधा पाँव, पूरा पाँव, जंघा, घुटने, अंगुलियाँ आदि को बाँधने या सुरक्षा करने का चर्ममय उपकरण । इन तीन प्रकार के 'कसिण चर्मों' का प्रायश्चित्त विधान करना इस सूत्र का विषय नहीं है अर्थात् इनका प्रायश्चित्त गुरुमासिक आदि है । प्रस्तुत उद्देशक लघु मासिक प्रायश्चित्त का है।
फिर भी भाष्यकार ने सभी विकल्प कह कर उनके प्रायश्चित्त के प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन किया है। उसका पूर्ण परिशीलन करना प्रायश्चित्तदाता गीतार्थों के लिए बहुत उपयोगी है। किस आपवादिक परिस्थिति में औपग्रहिक उपकरण रूप में किन-किन चर्म-उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है, इसकी जानकारी भी भाष्य से करनी चाहिए।
जिज्ञासु पाठक भाष्य चूणि से अधिक समझ सकते हैं। यहाँ सामान्य जिज्ञासुओं के लिए सूत्रोक्त विषय का उपयोगी अंश ही अंकित किया है।
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