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सूत्रांक
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विषय
प्रवृतियों से तप प्रायश्चित्त, भगवान महावीर स्वामी की मनुकम्पा प्रवृत्ति का उदाहरण, भगवतीसूत्र शतक १५ से प्रस्तुत सूत्र का सार ।
प्रत्याख्यानभंग करने का प्रायश्चित्त
शबलदोष, उत्तरगुण के पच्चक्खण, प्रत्याख्यान भंग करने से संभावित दोष, सूत्राशय, गीतार्थ की आज्ञा से धागारसेवन, विवेकज्ञान, चढता की प्रेरणा ।
सचित्त नमक पानी आदि से संयुक्त आहार खाने का प्रायश्चित
मिश्रित आहार के उदाहरण, सूत्राशय एवं विवेकज्ञान, गृहस्थों के रिवाज, प्रायश्चित्तविवेक ।
सरोमचर्म के उपयोग करने का प्रायश्चित्त
सूत्राशय का स्पष्टीकरण, सरोमचर्म उपयोग करने के दोष, परिस्थितिक विधान, निषेध का कारण, प्रायश्चित्तविवेक, रोमरहित चर्म का कल्प, अप्रतिलेख्यता से सम्बन्धित अन्य पुस्तक, तृण आदि, पुस्तक रखने के दोष, चार ष्टान्त तृण पंचक के दोष, अपवादिक स्थिति में ये उपकरण ग्रहण एवं प्रायश्चित्त, आगम वर्णनों से फलित प्राशय, पुस्तक उपयोग करने रखने का विवेक ।
वस्त्राच्छादित पीडे पर बैठने का प्रायश्चित्त
'अहिट्ठेइ" क्रिया का विशाल अर्थ, पीढों की कल्प्या कल्प्यता, सूत्राशय एवं दोष ।
नियंग्य की चद्दर सिलवाने का प्रायश्चित्त
चद्दर के प्रकार, क्रमिक विवेक एवं प्रायश्चित्त, दोषों की संभावना, सिलाई करने का प्रसंग | पांच स्थावरकाय की विराधना का प्रायश्चित
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अस्तित्व एवं विराधना न करने के आगमस्थल, पृथ्वीकार के सचित्त अचित्त का परिचय एवं विराधनास्थल गोचरी में, मार्ग में । काय का परिचय और विराधना स्थल गोचरी और मार्ग, अग्नि की विराधना गोचरी या उपाश्रय में वायु की विराधना, हवा करने या अवना से कार्य करने में सूक्ष्म दृष्टि से विराधना दशकालिक का विधान और अयतना का अर्थ, वनस्पति की विराधना मार्ग में गोचरी में, परिष्ठापन में इनके अलग-अलग प्रायश्चित्त । स की विराधना मार्ग में गोचरी में शय्या में उपधि में गवेषणा के साथ पदार्थों के परीक्षण में भी कुशलता होना, विवेक और परिष्ठापन, जीवरहित मकान गवेषणा का विवेकज्ञान, उपधि का उभयकाल प्रतिलेखन एवं धूप लगाना आदि प्रायश्चित्त ।
वृक्ष पर चढ़ने का प्रायश्चित्त
वृक्षों के तीन प्रकार एवं प्रायश्चित्त, परिस्थितियां, सकारण का सूत्रोक्त प्रायश्चित्त वृक्ष पर चढ़ने के दोष, अनन्तकाधिक वृक्ष का सहारा ।
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