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सूत्रांक
विषय
पृष्ठांक
१९०-१९४
२१-२७ राजकर्मचारी के निमित्त बना आहार लेने का प्रायश्चित्तं
दोषों की संभावना, कब तक अकल्पनीय, कठिन शब्दों की व्याख्या, सूत्राशय, शब्दों की हीनाधिकता की विचारणा, सूत्र की हीनाधिकता ।
१९४
उद्देशक का सूत्रक्रमांक युक्त सारांश उपसंहार-अन्य आगामों में उक्त-अनुक्त विषय
१९५
उद्देशक-१०
१-४
१९६-१९७
१९८-१९९
आचार्य गुरु आदि को अविनय आशातना का प्रायश्चित्त आचार्य को कठोर बोलने के प्रकार, शब्दों की व्याख्या, आशातना में अपवाद । अनंतकाय संयुक्त आहार करने का प्रायश्चित्त अनन्तकाय के लक्षण, सारांश । आधाकर्मी वोष के सेवन का प्रायश्चित्त प्राधाकर्म शब्द की वैकल्पिक व्याख्याएं, आधाकर्म के तीन प्रकार, आधाकर्म के दो विभाग ।
१९९-२००
७-८
२००-२०२
गृहस्थ को निमित्त बताने का प्रायश्चित्त निमित्त के प्रकार, बताने के हेतु, बताने के तरीके, वर्तमान का निमित्त बताना कैसे ? निमित्तकथन का निषेध आगमों में, निमित्तकथन से दोष, निमित्त की सत्यासत्यता ।
दीक्षित शिष्य के अपहरण का प्रायश्चित्त शिष्य के दो प्रकार, अपहरण एवं विपरिणमन का तरीका और दोनों में अन्तर ।
९-१०
२०२
२०३
११-१२ दीक्षार्थी के अपहरण करने का प्रायश्चित्त
"दिसं" शब्द की व्याख्या एवं सही अर्थ । १३ अज्ञात आगंतुक भिक्षु को कारण जाने बिना रखने का प्रायश्चित्त १४ कलह करके आये भिक्षु के साथ आहार-संभोग रखने का प्रायश्चित्त१५-१८ विपरीत प्रायश्चित्त कहने एवं देने का प्रायश्चित्त १९-२४ प्रायश्चित्तयोग्य भिक्षु के साथ आहार करने का प्रायश्चित्त
शब्दों की व्याख्या, सूत्राशय, सूत्रसंख्या निर्णय ।
२०३-२०४
२०४
२०४-२०५
२०५-२०६
२०६-२०८
२५-२८ रात्रिभोजन दोष सम्बन्धी प्रायश्चित्त
प्रमुख शब्दों की व्याख्या एवं सूत्राशय, विवेकज्ञान । रात्रि में आहार-पानी के उद्गाल को निगलने का प्रायश्चित्त विवेकज्ञान, तवे और पानी की बंद का दृष्टांत ।
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