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सूत्रांक
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१-२
३-५
१४ १८ मूर्द्धाभिषिक्त राजाओं के महोत्सव आदि स्थलों से आहार लेने का प्रायश्चित सूत्र परिचय, राजा के तीन विशेषण का तात्पर्य, कठिन शब्दों की व्याख्या ।
उद्देशक का सूत्रक्रमांक युक्त सारांश
उपसंहार- उद्देशक का विषय अन्य आगमों में है या नहीं ?
उद्देशक - ९
६
८-९
१०
११
विषय
निम्बी से अतिसंपर्क का प्रायश्चित्त
निर्ग्रन्थी से कितना सम्पर्क, उत्सर्ग और अपवाद के कर्तव्य ।
१२
उपाश्रय में रात्रि के समय स्त्रीनिवास का प्रायश्चित्त
सूत्र का प्रसंग, अर्द्धरात्रि का तात्पर्य "संवसावेइ" क्रिया का विशेषार्थ, अतिरिक्त सूत्र विचारणा ।
स्त्री के साथ रात्रि में गमनागमन का प्रायश्चित्त साथ जाने की परिस्थिति एवं कारण ।
राजपिंड ग्रहण करने का प्रायश्चित्त
राजपिंड के आठ पदार्थ तीर्थंकरों के शासन की अपेक्षा विचारणा ।
1
राजा के अंतःपुर में प्रवेश एवं भिक्षाग्रहण सम्बन्धी प्रायश्चित
तीन प्रकार के अंतःपुर, "अंतःपुरिया" शब्द के अर्थविकल्प द्वारपाल से बाहार मंगवाकर लेने के दोषों का वर्णन ।
राजा का दानपि ग्रहण करने का प्रायश्चित्त
राजा के कोठार आदि को जाने बिना गोचरी जाने का प्रायश्चित
शब्दों की व्याख्या, वहां जाने के दोष ।
राजा या रानी को देखने के लिए जाने का प्रायश्चित्त
शिकार के लिए गये राजा से आहार लेने का प्रायश्चित्त राजा जहाँ मेहमान हो वहां गोचरी जाने का प्रायश्चित्त
अल्पाहार या भोजन में राजा निमंत्रित कठिन शब्दव्याख्या सूत्राशय । राजा के उपनिवासस्थान के निकट में ठहरने का प्रायश्चित्त राजाओं का संसर्ग निषेध सूत्रकृतांगसूत्र में ।
१३- १८ यात्रा में गये राजा का आहार लेने का प्रायश्चित्त राज्याभिषेक के समय गमनागमन का प्रायश्चित्त
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किसी भी राजधानी में बारंबार जाने का प्रायश्चित्त बारंबार जाने से शंका आदि दोष |
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