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जन्म स्थान
देश को अत्यन्त उपजाऊ, सुन्दर तथा मनोहर बना रखा है। पाकिस्तान बनने से पूर्व यह प्रदेश गेहूँ तथा चावल के लिए इतना अधिक प्रसिद्ध था,कि उसके इस माल की दूर २ विदेशों तक में मांग थी। काश्मीर पंजाब के उत्तर में है । इस प्रदेश के स्वर्गीय सौंदर्य ने पञ्जाब की शोभा में और भी चार चांद लगा दिये हैं। पाकिस्तान बन जाने से पञ्जाब के दो भाग होगए। पश्चिमी पञ्जाब पाकिस्तान में चला गया और पूर्वी पञ्जाब भारत में रहा । पूर्वी पञ्जाव में हांसी, हिसार के प्रदेश को हरियाना कहते है। यहां की गौएँ तथा भैंसें अत्यन्त बलवान् तथा अपने अधिक दूध के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां के बैल बोक उठाने तथा दौड़ लगाने में बहुत अच्छे होते हैं । अतएव यहां के पशुओं की मांग भी भारत भर में है। भगवान ऋषभदेव के अद्वितीय शक्तिशाली पुत्र बाहुबली की राजधानी भी इसी प्रांत में तक्षशिला के समीप थी। पञ्जाब के रहने वाले अत्यन्त गौर वर्ण, लम्बे तथा बलिष्ठ शरीर वाले होते हैं। अतएव प्राचीन काल से ही देश की सेनाओं में पञ्जाबियों को अधिक संख्या में भर्ती किया जाता रहा है। इस प्रकार देश की रक्षा का प्रधान साधन सैनिक शक्ति का महत्वपूर्ण भाग भी इसी पञ्जाब से पूरा किया जाता रहा है। पञ्जाब के मनुष्य हृष्ट-पुष्ट, साहसी, परिश्रमी, दिये हुए वचन का पालन करने वाले तथा विलासप्रिय होते हैं। वह अतिथियों तथा त्यागी महात्माओं की मन लंगा कर सेवा किया करते हैं। पञ्जाब भारत की पश्चिमी सीमा पर है। अतएव उसका ऐतिहासिक तथा धार्मिक महत्व के अतिरिक्त सामरिक महत्त्व-भी कम नहीं है। '
पञ्जाब में स्यासकोट नामक एक सुन्दर नगर है। यहां इतिहास प्रसिद्ध तथा प्रतापशाली वही सम्राट् शालिवाहन राज्य