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-धिः,-निधिः,-राशिः जल का भंडार, समुद्र-संभू- (जैसा कि चन्द्रमा, सूरज) 2. फलना-फूलना, समृद्ध याम्भोधिमम्येति महानद्या नगापगा-शि० २१००, होना, उद्° 1. निकलना, उगना(जैसा कि सूर्य)-उदयति यादवाम्भोनिधीन्रुन्धे वेलेव भवतः क्षमा-५८, इसी हि शशाङ्कः कामिनीगण्डपाण्डु:--मृच्छ० ११५७, 2. प्रकार- अम्भसां निधि:, शिखाभिराश्लिष्ट इवाम्भसां प्रकट होना, बिखलाई देना-महूर्तो यज्ञियः प्राप्तश्चोनिधिः-शि० ११२०, °वल्लभः मूंगा,---रह, (नपुं०-८) दयन्तीह याजका:-महा0 3. फूटना, उदय होना, जन्म -यहम् कमल-- हेमाम्भोरुहसस्यानां तद्वाप्यो धाम लेना, उत्पन्न होना-तदोदयेदन्यवधूनिषेधः---नै० सांप्रतम्-कु० २।४४, (पुं०) सारस पक्षी,-सारम् ३॥९२, यथाग्नेधूम उदयते-शत०, परा° (रा को ला मोती,-सः धूआं, अंधकार ।
हो जाने पर) भागना, वापिस होना, भाग जाना। अम्भोजिनी अम्भोज+इनि+ डीप्]1.कमलका पौधा, कमलों अयः [इ । अच्] 1. जाना, चलना, फिरना (अधिकतर
का समूह,-°वननिवासविलासम्-भर्त० २।१८, 2. समास में-अस्तमय), 2. पूर्वजन्म के अच्छे कृत्य कमलों का समूह 3. वह स्थान जहाँ कमल बहुतायत 3. अच्छा भाग्य, अच्छी किस्मत-शुद्धपाष्णिरयान्वितः से हों।
-रघु०४।२६, 4. खेलने का पासा । सम०–अम्वित, अम्मय (वि.) [स्त्री०-यी] [अप-+-मयट्] जलीय, या | अयवत् (वि.) सौभाग्यशाली, अच्छी किस्मत वाला, जल से बना हुआ।
-सुलभैः सदा नयवताऽयवता-कि० ५।२०। अन=तु० आम्र।
अयक्मम् स्वास्थ्य का होना, नीरोगता। अम्ल (वि.)[अम्+क्ल + अच्]1.खट्टा, तीखा,-कट्वम्ल- अयज्ञ (वि.) [न० ब०] यज्ञ न करने वाला--शः [न.
लवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः (आहाराः) भग० त०] यज्ञ का न होना, बुरा यज्ञ । १७।९,--- म्लः खटास, तीखापन, ६ प्रकार के रसों में अयज्ञिय (वि.) [न० त०] 1. जो यज्ञ के योग्य न हो से एक, 2. सिरका 3. नोनिया साग, इमली, 4. नीब (जैसा कि उड़द) 2. जो यज्ञ करने का अधिकारी न का वृक्ष 5. उद्वमन । सम०-अक्त (वि.) खट्टा हो (जैसा कि यज्ञोपवीत से हीन बालक) 3. लौकिक, किया हुआ,—उद्गारः खट्टी डकार, केशरः चको
गंवारू। तरे का वृक्ष,-गंधि(वि०) खट्टी गंध वाला,—गोरसः । अयत्न (वि.) [न० ब.] बिना ही यत्न किये होनेवाला खट्टी छाछ,-जंबीरः,-निबकः नींबू का वृक्ष,---पित्तम् -पटवासतां-रघु० ४।५५--लः (न० त०) श्रम एक रोग जिसमें आहार आमाशय में पहुंच कर अम्ल या उद्योग का अभाव, अयस्नेन,-लतः स्नात, अनाहो जाता है, खट्टा पित्त,-फल: इमली का वृक्ष, यास, बिना परिश्रम के, आसानी से, तत्परता के साथ। (-लम्) इमली,---रस (बि०) खट्टे स्वाद वाला
अयथा (अव्य०)[ न० त०] जिस प्रकार होना चाहिए वैसे (-सः) खटास, तेजाबी अंश,-वृक्षः इमली का वृक्ष,
न होना, अनुपयुक्त रूप से, अनुचित ढंग से, गलत --सारः नींबू का पौधा, हरिखा आंवाहल्दीका पौधा।
तरीके से । सम०---अर्थ (वि०) 1. जो नितांत भाव अम्लकः [अम्ल+कन् (अल्पार्थे)] लकुच, बडहर ।
के अनुकूल न हो, अर्थहीन, भावरहित 2. असंगत, अम्लान (वि०)[न० त०] 1. जो माया न हो (पुष्पादिक)
अयोग्य, मिथ्या श० ३१२, अशुद्ध, गलत-अनुभवो 2. स्वच्छ, साफ उज्ज्वल (चेहरा), निर्मल, बिना
द्विविधो यथार्थोऽयथार्थश्च तर्क सं०, अनुभवः अशुद्ध बादलों का,-पदार्थन्यायवादेषु कणोऽप्यम्लानदर्शन:,
या असत्य ज्ञान, गलत भाव,-इष्ट (वि०) 1. जो -नः बाणपुष्पवृक्ष, दुपहरिया।
इच्छानुकूल न हो, नापसंद 2. अपर्याप्त, नाकाफी अम्लानि (वि०) [न० ब०] सशक्त, न मुझाने वाला,—निः -उचित (वि०)अयुक्त, अनुपयुक्त, तथ (वि०)1. जो
(स्त्री०) [न० त०] 1. शक्ति 2. ताजगी, हरियाली। जैसा होना चाहिए वैसा न हो, अयुक्त, अनुपयुक्त, अम्लानिन् (वि.)[न० त०] स्वच्छ, साफ,-नी बाणपुष्प- अयोग्य,-- इदमयथातथं स्वामिनश्चेष्टितम-वेणी०२, वृक्षों का समूह।
2. अर्थहीन, व्यर्थ, लाभरहित (-थम्) (अव्य०) 1. अम्लि (म्ली) का [अम्ला+कन् टाप् इत्वम्, अम्ल+ अयुक्तता के साथ, अनुपयुक्तता के साथ, 2. व्यर्थ,
डी+क-टाप् वा] 1. मुंह का खट्टा स्वाद, खट्टी अकारथ, बेकार, तद्गच्छति अ...---मनु० ३।२४० डकार 2. इमली का वृक्ष ।
---तथ्यम् अनुपयुक्तता, असंगतता, व्यर्थता,-चोतनम् अम्लिमन् (पुं०) [अम्ल-1 इमनिच्] खटास, खट्टापन । आशातीत घटना का होना,---पुर,-पूर्व (वि०) जो अय (म्वा.आ.)[कई बार भी, प०, विशेषतः उद उपसर्ग पहले कभी न हुआ हो,अभूतपूर्व, अनुपम,-वृत (वि.)
के साथ] [अयते, अयांचके, अयितुम, अयित जाना। गलत तरीके से कार्य करने वाला,--शास्त्रकारिन् अन्तर् अन्तःप्रवेश करना, हस्तक्षेप करना,-दर्दुरक (वि.) शास्त्रानुकूल कार्य न करने वाला, अधार्मिक, उपसूत्यान्तरयति---मृच्छ० २, अम्युद? 1. निकलना ] -अयथाशास्त्रकारी च न विभागे पिता प्रभुः-नारद।
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