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( ८७ ) अम्बाडा-ला [अम्बा+ला+क+टाप-डलयोरभेदात् । स्वामी,-पातः जलधारा, जलप्रवाह, नदी या झरना अम्बाडा अपि ] माता।
गङ्गाम्बुपातप्रतिमा गृहेभ्यः-भट्टि० ११८, -प्रसादः, अम्बालिका [ अम्बाला-+-क+टाप् इत्वम् ] 1. माता, ----प्रसादनम् कतक, निर्मली का पेड़-फलं कतकवृक्षस्य
भद्र महिला, (सम्मान तथा स्नेहसचक शब्द) 2. यद्यम्बुप्रसादकम्, न नामग्रहणादेव तस्य वारि प्रसीदति अंबाडा नामक पौधा 3. काशिराज की सबसे छोटी 1. ---भवम् कमल,-भूत् (पु.) 1. जलवाहक, बादल पुत्री-विचित्रवीर्य की पत्नी, (जब, सत्यवती ने 2. समुद्र 3. अबरक,-मात्रज (वि.) जो केवल जल निस्सन्तान विचित्रवीर्य के लिए एक पूत्र पैदा करने के में ही उत्पन्न हो (--जः) शंख-मुच (पुं०) बादल, लिए व्यास का आवाहन किया -तब व्यास के द्वारा -ध्वनितमूचितमम्बुमचा चयम-कि० ५।१२,--राजः उत्पन्न 'पांडु' की यह माता बनी)।
1. समुद्र 2. वरुण,-राशिः जलाशय या पानी का अम्बिका [अम्बा+कन्+टाप् इत्वम् ] 1. माता, भद्र
भंडार, समुद्र -त्वयि ज्वलत्यौर्वमिवाम्बुराशी-श. महिला, ('अम्बा' की भाँति स्नेह और आदर सूचक
३।३, चन्द्रोदयारम्भ इवाम्बुराशि:- कु० ३।६७, शब्द),—अतिके अम्बिके शृण मम विज्ञप्तिम---मच्छ०
रघु० ६।५७, ९४८२, रुह (नपुं०) 1. कमल 2. १. 2. शिव की पत्नी पार्वती,...आशीभिरेधयामासुः
सारस, ---रुहः, -रुहम् कमल-विपुलिनाम्बुरहा न सरिपुरःपाकाभिरम्बिकाम---कु०६।९०, 3. काशिराज
द्वधू:--कि०५।१०,-रोहिणी कमल,--वाहः 1. बादल की मझली पुत्री, तथा विचित्रवीर्य की ज्येष्ठ पत्नी,
-तडित्वन्तमिवाम्बुवाहम-कि० ३११, भर्मित्रं प्रियमअपनी छोटी बहन की भाँति इसके भी कोई संतान विधवे विद्धि मामम्बुवाहम् –मेघ० १०१, 2. झील नहीं हुई, फिर व्यास के द्वाग इसमें उत्पन्न पुत्र
3. जलवाहक,-वाहिन ( वि०) पानी ले जाने वाला 'धृतराष्ट्र' कहलाये ऊपर दे० 'अम्बा' । सम० ---पतिः,
(-५०) बादल,-वाहिनी काठ का डोल, एक -भर्ता शिव, -पुत्रः, -सुतः धृतराष्ट्र ।
प्रकार का पानी उलीचने का बर्तन-विहारः जल क्रीड़ा, अम्बिकेषः,-यकः [ अम्बिका+] [ अधिक शुद्ध रूप
वेतसः एक प्रकार का वेत, नरकूल जो जल में पैदा ___'आंबिकेय' है गणेश या कार्तिकेय, या धृतराष्ट्र ।
होता है,- सरणम् जलप्रवाह, जलधारा,सपिणी अम्बु (नपं०) अम्ब्+उण] 1. जल---गांगमम्बु सितमम्त्र
जोक -..-सेचनी जल छिड़कने का पात्र । यामुन . काव्य०१०, 2. रुधिर के अन्तर्गत जलीय | अम्बुमत् (वि०) [अम्बु+मतुप्] पनीला, जिसमें जल हो, तत्व। सम० . ...कणः पानी की बंद, -- कण्टकः -ती एक नदी का नाम । (छोटी नाक वाला) घड़ियाल, - -किरातः घड़ियाल, अम्बूकृत (वि.) [अम्बु+च्चि +-कृ :-क्त] वड़ बड़ाया हुआ, ---कोशः, --कर्मः कछवा, ---केशरः नींबू का पेड़,
होठों को बन्द करके अस्पष्ट रूप से कहा हुआ, मुंह --क्रिया पितृ तर्पण, पितरों को जलदान, -ग,-चर, में ही कहा हुआ, मुंह से थूक उछालते हुए कहा हुआ। -चारिन (बि०) जल में रहने वाला, जलचर,
-तम् बड़बड़ाने का शब्द, भाल के गुर्राने का -धनः ओला,-चत्वरम् झील,—ज जल में उत्पन्न, शब्द-दधति कुहरभाजामत्र भल्लकयूनामनुरसितजलज (विप० स्थलज)--सुगंधीनि च माल्यानि स्थल- गुरुणि स्त्यानम्बुकृतानि-उतर० २।२१, मा० ९।६, जान्यम्बजानि च-रामा० (जः) 1. चन्द्रमा, 2. कपूर
महावी० ५।४१। 3. सारस पक्षी 4. शंख, (जम्) 1. कमल, -इंदीवरेण
अम्भ (भ्वा० आ०)[अम्भते, अम्भित] शब्द करना, आवाज नयन मुखमम्बुजेन - शृंगार० ३, 2. इन्द्र का वज्र,
करना। "भः, °आसनः कमल से उत्पन्न देवता, ब्रह्मा, आसना अम्भस् (नपुं० )[आप (अम्भ)+अमन] 1 जल-कथमप्यलक्ष्मीदेवी,-जन्मन् (नपुं० ) कमल, (पुं०) 1. म्भसामन्तरानिष्पत्तेः प्रतीक्षते-कू० २।२७, स्वेद्यमाचन्द्रमा 2. शंख 3. सारस पक्षी,---तस्करः जलचोर, मज्वरं प्राज्ञः कोऽम्भसा परिषिञ्चति -शि० २।४५, सूर्य, - -द (वि०) जल देने वाला (-वः) बादल- अम्भसाकृतम्-जल द्वारा किया हुआ, पा० ६।३।३, नवाम्बुदानीकमुहुर्तलांछने-रघु० ३।५३,-धरः । 1. 2. आकाश 3. जन्मकुंडली में लग्न से चौथा स्थान । बादल --वशिनश्चाम्बुधराश्च योनयः --कु० ४।४३, सम०, -- ज (वि०) जल में उत्पन्न (-जः) 1. चन्द्रमा शरत्प्रमष्टाम्बुधरोपरोधः रघु० ६४४, 2. अबरक, 2. सारस पक्षी, (-जम्) कमल-बाले तब मुखा----धि: 1. पानी का आशय, जलपात्र, -अम्बुधिर्घट:--- म्भोजे कथमिन्दीवरद्वयम्-शृंगार० १७, इसी प्रकार सिद्धा०, 2. समुद्र, क्षार' भर्तृ० २।६, 3. चार की पादः, नेत्र, खंड:-डम कमलों का समह-कुमुदव संख्या,-निधिः पानी का खजाना, समुद्र, देवासुरैर- नमपथि श्रीमदम्भोजवण्डम-शि० ११६४, °जन्मन मतमम्बुनिधिर्ममन्थ-कि० ५।३०, ------ (वि०) पानी (40),-जनिः,-योनिः कमलोत्पन्न देवता, ब्रह्मा की पीने वाला (---पः) 1. समुद्र 2. वरुण-जल का । उपाधि,-जन्मन् (नपुं०) कमल,-दः,-धरः बादल,
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