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अनुक्रमणिका खंड : १
वासना, वस्तु नहीं, लेकिन रस ३९ विषय का स्वरूप, ज्ञानी की दृष्टि ज्ञानी ही छुड़वाते हैं, वासना... ४०
विषय और कषाय की भेदरेखा ४१ [१]
[३] विश्लेषण, विषय के स्वरूप का माहात्म्य ब्रह्मचर्य का कीचड़ में ठंडक का मज़ा १ विषय की कीमत कितनी? ४३ इस ज़हर को ज़हर जाना? ३ विषय से जर्जरित हुए जीवन ४३ परवशताएँ कैसे पुसाए? ४ ब्रह्मचर्य पालन करने की सीढ़ियाँ शादी करने के परिणाम तो देखो ६ व्रत के परिणाम पूरी दुनिया की है वह जूठन ८ आज्ञासहित व्रत ही सही सुख के साधन या अशुचि का... १० ब्रह्मचर्य तो कैसा होना चाहिए? सच्चा आम का भोग, विषय... १२ अभिप्राय बदलते ही निकलना... ५१ सभी इन्द्रियो ने निंदा की... १३ ग़ज़ब के वे ब्रह्मचारी ५१ बुद्धि से सोचा है विषय... १५
खंड : २ निरी गंदगी दिखे विषय में १६ 'शादी नहीं करने' के निश्चयवालों खरा सुख किस में?
के लिए राह चल रहे है कहाँ? दिशा...
[१] समझो ब्रह्मचर्य की कमाई २१ किस समझ से विषय में से छूटा जा किफायत करो वीर्य और...
सकता है? अक्रम विज्ञान प्राप्ति करवाए... २३ शादी नहीं करने के निश्चयवाले... ५३ इतना आवश्यक है, ब्रह्मचर्य... २३ समझकर दाखिल होना इसमें ५५ ज्ञान किसे अधिक रहता है,... २५ बार-बार करना निश्चय दृढ़ ५७ शरीर का राजा कौन? २६ हे विषय! अब तेरे पक्ष में नहीं ५८
अंकुर फूटते ही उसे उखाड़ देना ६० विकारों से विमुक्ति की राह चित्त आकृष्ट होता है, रास्ते.... विकारों को हटाना है? २९ आँखें गड़ाएँगे तो दृष्टि... ब्रह्मचर्य, प्रोजेक्ट का परिणाम ३० प्रतिक्रमण के बाद, दंड... उसके हेतु पर आधारित है ३२ देखना, सामान्य भाव से नहीं समझा जगत् ने, स्वरूप... ३३ उस मिठास का पृथक्करण... अज्ञान की गलतियों की सज़ा... ३४ फिर भी आकर्षण क्यों? विषय का शौक, बढ़ाए विषय ३५ राजा जीतने से, जीतेंगे पूरा राज । नहीं रोकना चाहिए मन को ३६ टले ज्ञान और ध्यान...
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