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दृष्टि उखड़े, 'थ्री विज़न' से (खं-2-२)
चीज़ पर विषय कैसे उत्पन्न हो सकता है? अरुचि पर विषय कैसे उत्पन्न होगा? किसी स्त्री का हाथ जल गया हो, रोज़ पूरे शरीर को पुरुष छूता हो, लेकिन हाथ जल जाए और छाले पड़ गए हों और फिर पीप निकल रहा हो, उस समय वह स्त्री कहे कि 'यहाँ ये ज़रा धो दीजिए न।' तो क्या कहेगा?
प्रश्नकर्ता : मना कर देगा।
दादाश्री : अब उसमें रुचि थी, तो वहाँ ऐसा देखकर अरुचि हो जाती है न! फिर वापस रुचि उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। लेकिन स्टैबिलाइज़ रहना चाहिए। यह तो यों फिर से ठीक हो जाए तो, जैसे थे वैसे के वैसे ही हो जाते हैं, क्या ऐसा नहीं है? स्टैबिलाइज़ हो जाना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : स्टैबिलाइज़ किस प्रकार से हो सकते हैं?
दादाश्री : वह तो यहाँ, इस रोड पर जाकर पूछ आना न! जैसा वे लोग करते हैं वैसे ही तू भी करना! कंकर-मेटल डालकर वहाँ पर रोलर घुमाते हैं और वह स्टैबिलाइज़ हो जाता है। वह देख लेना।
प्रश्नकर्ता : लेकिन कौन सा रोलर घुमाना चाहिए?
दादाश्री : वह तो उस रोलर से हमें पश्चाताप कर करके, दोष को निकालना है।
प्रश्नकर्ता : इस ज्ञान की प्राप्ति के बाद खुद का निश्चय है, ध्येय है, उसके बावजूद भी जो रुचि रही हुई है, उस रुचि को तोड़ने के लिए, उसका छेदन करने के लिए क्या करना चाहिए?
दादाश्री : एक्जेक्ट प्रतिक्रमण करेगा तब हो पाएगा। अरुचि देखने के अन्य सभी साधन उसके अंदर हैं, अरुचि देखने के। वह सब हेल्प करता रहेगा।