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नहीं चलना चाहिए, मन के कहे अनुसार (खं-2-५) १७३ तो बहुत डाउन ले जाएगा हमें! ऐसा नहीं कह सकते।
प्रश्नकर्ता : करुणा रखने जैसी नहीं है, वह डबल अहंकार कहलाएगा!
दादाश्री : अहंकार का सवाल नहीं है। 'करुणा रखने जैसी नहीं है।' ऐसा नहीं कहना चाहिए। वह हमें ऐसे नहीं कहता कि आप मुझ पर करुणा रखो। बल्कि वह तो कहेंगे कि, 'ओहोहो! बड़े आए करुणा रखनेवाले आए!' इसलिए सबकुछ गलत।
प्रश्नकर्ता : करुणा रखने का प्रयत्न ही नहीं होना चाहिए
न?
दादाश्री : करुणा तो सहज स्वभाव है।
प्रश्नकर्ता : ऐसे जो प्रयत्न करने लगा, उसके रिएक्शन में 'नहीं रखने जैसा' हो गया न?
दादाश्री : वह तो गलत है। वह बात ही गलत है। करुणा कह ही नहीं सकते, हम। उसे अनुकंपा कहते हैं। करुणा तो, जब बुद्धि से आगे जाए, तब करुणा कहलाती है।