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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
बोलने से तो बुद्धि इमोशनल हो जाती है। यों ही उनका चारित्र देखने से, उस मूर्ति को देखने से ही सभी भावों का शमन हो जाता है यानी कि उन्हें तो केवल खुद ही उस रूप हो जाने जैसा है। ‘ज्ञानीपुरुष' के पास रहकर उस रूप होना है। ऐसी पाँच ही लड़कियाँ तैयार हो जाएँ तो कितने ही लोगों का वे कल्याण कर सकेंगी! बिल्कुल निर्मल बन जाना चाहिए और 'ज्ञानीपुरुष' के पास निर्मल हो सकते हैं और निर्मल होनेवाले हैं ।
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