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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
हमारी मौजूदगी में बिल्कुल भी नींद नहीं आनी चाहिए, किसी को। कमी नहीं रहनी चाहिए। निरंतर विनय रहना चाहिए। मेरी मौजूदगी में कभी भी आँखें मिच जाएँ तो वह नहीं चलेगा और अपवित्रता तो बिल्कुल भी नहीं चलेगी, यहाँ बिल्कुल पवित्र पुरुषों का काम है। पवित्रता होगी तो वहाँ से भगवान जाएँगे नहीं!
मैंने सभी से कहा है, कि भई ऐसी पोल तो नहीं चलेगी। यह अनिश्चय है। इन आप्तपुत्रों ने शादी नहीं की लेकिन निश्चय है इसलिए आचरण मत बिगड़ने देना। हर एक जन बोलो, देखते हैं, कौन दृढ़ता से पालन करेगा? हर एक जन बोलो, खड़े होकर बोलो न!
जिसका आचरण बिगड़े, उसे तो डिसमिस कर देना। क़रार लिखकर दिए हैं मुझे। नहीं चलेगी अपवित्रता, सूअर जैसा व्यवहार! सूअर और इसमें फर्क क्या रहा फिर? पवित्र लोग तैयार हुए है, जगत् का कल्याण करेंगे!