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ब्रह्मचर्य प्राप्त करवाए ब्रह्मांड का आनंद (खं-2-१४)
जाति के हैं? ब्रह्मचर्य से नूर आता है। काला - गोरा नहीं देखना है। कितना भी काला हो, लेकिन उसमें नूर होना चाहिए। बिना नूर के लोग किस काम के ? वर्ना ब्रह्मचर्य का तेज तो ऐसा होना चाहिए कि सामनेवाली दीवार पर पड़े ! फॉरिनवाले देखें तो देखते ही खुश हो जाएँ कि इन्डियन ब्रह्मचारी आए हैं, ऐसा होना चाहिए । कोई गोरा हो सकता है, कोई काला लेकिन वह नहीं देखना है, ब्रह्मचर्य देखना है। इसलिए ऐसा कुछ करो कि ब्रह्मचर्यव्रत खिल उठे।
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प्रश्नकर्ता : तो क्या करना है ?
दादाश्री : करना तो अपने में कुछ है ही नहीं न! करोमि, करोसि और करोति तो अपने में कुछ है नहीं, लेकिन बात को समझो अब।
प्रश्नकर्ता : अभी जो करते हैं, उसमें मूलत: किस चीज़ की कमी है ?
दादाश्री : ये तुम्हारे पहले के जो नुकसान हैं, तो उस नुकसान की भरपाई हो जाए, उसके लिए तुम जागृति रखो कि नुकसान की भरपाई हो जाए और उसके बाद फिर सरप्लस बढ़ेगा तो फायदा दिखेगा ! मैं सोलह साल का था, तब जब मुहल्ले से गुजरता था तो आते-जाते हुए भी लोगों को सुनाई देता था कि यह जमीन थर्रा (उठी) है! सोलह साल का था, तो भी जमीन थर्रा उठती थी ! तुम से हमारा ऐसा कहना है कि समझ लो कि पिछले नुकसान की भरपाई कैसे हो ? गलतियाँ तो खत्म करनी ही पड़ेंगी न ? या ऐसे ही चलने देना है ?
जिसे शुद्धात्मा का वैभव देखना हो, उसके लिए ब्रह्मचर्य व्रत अत्यंत हितकारी है। हम भी रिलेटिव में इस एक ही व्रत के लिए हेल्प करते हैं, बाकी हम और किसी चीज़ में हस्तक्षेप नहीं करते। इस ज्ञान में यदि सचमुच में कोई चीज़ मददगार है तो