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अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७)
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नहीं पड़ती फिर भी ब्रह्मचर्य रहता है क्योंकि सिर्फ वे ही गेहूँ साफ करके लाए थे। वैसे गेहूँ खेत में बोने के बाद उनके लिए खेत में निराई के लिए कुछ बचता ही नहीं है न! जबकि इन सभी लड़कों ने तो सभी तरह के अनाज इकट्ठे करके डाल दिए थे। इसलिए इन्हें अब सिर्फ गेहूँ रहने देना है और बाकी सब की निराई कर देनी है। तो अब निराई करते-करते दम निकल रहा है। और इन्हें तो रोज़ निराई करनी पड़ती है, वर्ना फिर गेहूँ के साथ बाकी सभी उग आता है। कोदो उगता है, एरंड उगता है, सबकुछ होता है। इन्होंने आत्मा प्राप्त किया है इसलिए जागृति खड़ी हो गई। इसलिए अब निरंतर जागृत रह सकते हैं।
प्रश्नकर्ता : हमारे जैसे जल्दी निराई नहीं कर सकते। क्योंकि हम घास लेकर आए है।
दादाश्री : तुम्हें निराई करने की ज़रूरत ही नहीं है। तुम्हें कहीं बोम्बे सेन्ट्रल नहीं जाना है। तुम्हें तो माउन्ट आबू घूमने जाना है न? जिसे बोम्बे सेन्ट्रल जाना है, उसकी बात अलग है। जिसे माउन्ट आबू घूमने जाना हो उसे किसी भी चीज़ की निराई करने की ज़रूरत नहीं है।
प्रश्नकर्ता : कुछ पौधे तो ऐसे होते हैं कि उनके लिए सख्त परिश्रम करना पड़ता है। तब क्या करना चाहिए?
दादाश्री : उससे अच्छा तो निराई रहने देना और अंदर जो उगा वही सही। बहुत निराई करनी हो तो कहाँ माथा पच्ची करेंगे? निराई करने की भी हद होनी चाहिए।
प्रश्नकर्ता : फिर भी निराई करनी हो तो क्या करना चाहिए?
दादाश्री : जोत देना, उखाड़ देना। बाद में फिर धान के पौधे लगा देना।
ये जो त्यागी ब्रह्मचर्य पालन करते हैं, वे पहले साफ करके