Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 401
________________ [ १७ ] अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक बिना निराई किए हुए खेत ब्रह्मचर्य को तो पूरी दुनिया ने 'एक्सेप्ट' किया है। ब्रह्मचर्य के बिना तो कभी भी आत्मा प्राप्त हो ही नहीं सकता। जो इंसान ब्रह्मचर्य के विरुद्ध होता है, उसे आत्मा कभी भी प्राप्त नहीं हो सकता। विषय के सामने तो निरंतर जागृत रहना पड़ता है। एक क्षण भर की भी अजागृति नहीं चलेगी। प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य और मोक्ष का संबंध - साझेदारी कितनी ? दादाश्री : बहुत लेना-देना है। ब्रह्मचर्य के बिना तो आत्मा का अनुभव पता ही नहीं चल सकता न! 'आत्मा में सुख है या विषय में सुख है' यह पता ही नहीं चलेगा न ? ! प्रश्नकर्ता : तो फिर जो अब्रह्मचारी मोक्ष में गए हैं, वह कैसे ? जो जो मोक्ष में गए, वे सभी ब्रह्मचारी नहीं थे I दादाश्री : ऐसा कोई नियम नहीं है। ब्रह्मचर्य खुद को रहना चाहिए। और 'वह ज़रूरी है,' इसमें ऐसे पॉज़िटिव रहना चाहिए। ब्रह्मचर्य के लिए कभी नेगेटिव रहे और आत्मा प्राप्त हो, यह बात ही गलत है। उसे विषय बिल्कुल भी पसंद नहीं हो, फिर भी करना पड़ता हो तो आत्मा प्राप्त हो सकेगा। बाकी जो विषय के तरफदार होते हैं, उन्हें आत्मा प्राप्त हो ही नहीं सकता । विषय के सामने तो निरंतर जागृत रहना पड़ता है और आत्मा प्राप्त हुए बिना जागृति आ ही नहीं सकती। जैन साधुओं को जागृति रखनी

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