Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 430
________________ अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७) ३७७ बिना नहीं होना चाहिए। कभी शायद आधा-पौना घंटा चूक गए, कहीं किसी की बात पर उलझ गए, तो प्रतिक्रमण कर लेना। प्रतिक्रमण करोगे तो फिर से जागृति आ जाएगी, लेकिन उलझते रहोगे तो अंत ही नहीं आएगा न? कभी किसी जन्म में ही ज्ञानीपुरुष मिलते हैं और वहाँ अगर हम कच्चे पड़ जाएँ, तो अपनी ही गलती है न? प्रश्नकर्ता : ज्ञान का अपच नहीं हो, और उसमें से सेफ साइड की तरफ निकल जाएँ, वह कैसे? दादाश्री : ऐसा है न, कि उसमें तो उस तरह से आज्ञा पालन करना पड़ेगा, पुरुषार्थ करना पड़ेगा। हमने एक ही बार कहा था कि विषय का यह जोखिम कितना है, उतना सुनकर तो सभी लड़कों ने पुरुषार्थ शुरू कर दिया। यह 'अक्रम विज्ञान' तो बहुत ऊँची क्वॉलिटी का है। आज तुम्हें ऐसा लग रहा हो कि, कैसे हो पाएगा? लेकिन यह विज्ञान एक घंटे में तो क्या से क्या कर देता है! ज्ञानी पर आपको जैसा भाव आएगा, उतनी ही ज्ञान के परिणाम की मात्रा बढ़ती जाएगी। इसलिए इन लड़कों से मैंने कहा है कि 'तुम्हारी बात एक्सेप्ट करते हैं, लेकिन तुम्हें लालबत्ती रखनी है।' क्योंकि उन में अभी तक जवानी की शुरूआत नहीं हुई है। अभी उन्हें मुझ पर जितना लक्ष्य रहता है, उतना लक्ष्य जवानी में रहेगा और जवानी गुज़र जाएगी, तब उन्हें कोई दिक्कत नहीं आएगी लेकिन यदि लक्ष्य बदल गया तो दिक्कत आएगी, समझ लेना। फिर तो गिरा भी देगा। इसलिए उन्हें ये लालबत्तियाँ दिखाते हैं। कृपापात्र हो गए हो तो विषय को जीत जाएँगे, फिर भी लालबत्ती दिखानी पड़ती है। लालबत्ती नहीं दिखाएँगे तो ये लोग गाडी को यों ही छोड़ देंगे। इन कर्मों ने तो तीर्थंकरों को भी नचाया है, तो फिर इनकी तो बिसात ही क्या? इन लड़कों से मैं कहता हूँ कि तुम इस जागृति में रहते

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