Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 438
________________ अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं - 2 - १७) प्रश्नकर्ता : यह पिछला जो नुकसान हैं, उसे निश्चय से खत्म कर सकते हैं? ३८५ दादाश्री : हाँ, सारा नुकसान खत्म कर सकते हैं। निश्चय बहुत काम करता है । जब भारी उदय आए, तब वह सबकुछ हिला देता है। अब भारी उदय का अर्थ क्या है ? कि हम स्ट्रोंग रूम में बैठे हों और बाहर कोई चिल्ला रहा हो। फिर भले ही पाँच लाख लोग चिल्ला रहे हों कि 'हम मार डालेंगे' ऐसा बाहर से ही चिल्ला रहे हों तो हमारा क्या बिगाड़ सकते हैं ? वे भले ही चिल्लाते रहे। उसी तरह यदि इसमें भी स्थिरता रही तो कुछ नहीं होगा, लेकिन स्थिरता डगमगाई कि फिर से वह चिपक जाएगा। अतः भले ही कैसे भी कर्म आ पड़ें, लेकिन उस समय स्थिरतापूर्वक 'यह मेरा नहीं है, मैं शुद्धात्मा हूँ' ऐसा करके स्ट्रोंग रहना पड़ेगा। बाद में वापस आएगा भी सही और थोड़ी देर उलझाएगा लेकिन अगर अपनी स्थिरता रहे तो कुछ नहीं होगा । हमें इन लड़कों की दो- पाँच बार विधि करनी पड़ती है, तब उनका मोह का वातावरण लगभग चला जाता है। वर्ना अगर निरे मोह के वातावरण में जब वह 'रिज पॉइन्ट' पर आएगा, तब उसे एकदम से उड़ा देगा इसलिए लगभग पैंतीस साल तक तो उसका रक्षण करना पड़ता है। यह तो लड़को के संस्कार अच्छे हैं और इस ज्ञान के प्रताप से इतना शुद्धिकरण हो गया है, इसीलिए यह ब्रह्मचर्य व्रत देते हैं क्योंकि जितनी पवित्रता रखी जा सके उतना तो उसका सीधा चले !! प्रश्नकर्ता : 'रिज पॉइन्ट' पर यदि उनका खत्म हो जाए तो फिर ज्ञान का बीज रहता है या फिर बीज भी खत्म हो जाता है ? दादाश्री : ज्ञान का बीज भी खत्म हो जाता है लेकिन व्यर्थ

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