Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 465
________________ ४१२ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) ब्रह्मचर्य पालन किया जा सके। विचार तो उत्पन्न होते हैं। 'अट्रैक्शन' उत्पन्न होता है, वह कुदरती है, लेकिन अट्रैक्शन होने के बाद साबुन से धो दें तो वापस अट्रैक्शन नहीं होगा। आकर्षण कुछ के प्रति ही क्यों? प्रश्नकर्ता : मन में तय किया हो कि किसी भी लड़के के लिए खराब विचार नहीं करने हैं और मुझे खराब विचार नहीं आते लेकिन उसका चेहरा दिखता रहता है, प्रतिक्रमण करती हूँ फिर भी वापस वह तो दिखता ही रहता है तो क्या करना चाहिए? दादाश्री : दिखता रहे तो उससे क्या? हमें देखते रहना है, प्रतिक्रमण करके उखाड़ देना है बस! प्रश्नकर्ता : उसकी ओर आकर्षण होता है, वह अच्छा नहीं लगता इसलिए उसका प्रतिक्रमण करती है, लेकिन फिर भी वह और भी ज्यादा दिखता रहता है। दादाश्री : वह दिखे तब प्रतिक्रमण होगा और प्रतिक्रमण करने से फिर धीरे-धीरे कम होता जाएगा। गाँठ बड़ी हो तो एकदम से कम नहीं होगा। प्रश्नकर्ता : मुझे उसका चेहरा दिखे और उसके बारे में उल्टे विचार आएँ तो क्या वह खराब नहीं कहलाएगा? दादाश्री : तुम स्ट्रोंग (दृढ़) हो तब फिर अगर उल्टे विचार आएँ, तो उन्हें देखो कि इसके लिए अभी भी बुरे विचार आ रहे हैं। तुम स्ट्रोंग हो तो कोई नाम नहीं लेगा। यह तो भरा हुआ माल है, वह आता है, वर्ना अगर नहीं भरा हो तो दूसरे किसी लडके के बारे में नहीं आएँगे। इतने सारे लड़के हैं, क्या सभी के लिए आते हैं? जो माल भरा है, वही आ रहा है। तुम पहचानती हो या नहीं, इस भरे हुए माल को? कुछ को देखा हो और उन पर दृष्टि पड़ गई हो तभी आएँगे।

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