________________
दादा देते पुष्टि, आप्तपुत्रियों को (खं-2-१८)
४०९
कॉलेज में तो कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। कॉलेज में निरे रोग ही खड़े होते हैं। सबकुछ जोखिम है। हमें अपने आप ही पढ़ना-करना है, लेकिन अपनी सेफ साइड रखना। हमें सेफ साइड रखकर काम लेना है, वर्ना हर कहीं फिसलने के साधन हैं। एक बार फिसलने के बाद फिर ठिकाना नहीं पड़ेगा, समुद्र में गहरा उतर जाए तो फिर कब पार आएगा? सभी स्त्रियाँ तो कमल जैसी हैं और फिर अगर उन्हें दु:ख हो तो वह दुःख दादाजी के नाम पर हुआ कहलाएगा तो क्या दादाजी आपको सावधान न करें? और दादाजी पर इतना भरोसा हुआ फिर भी दुःख आया?! इसलिए दादाजी तो सावधान करते हैं। दादाजी बोर्ड लगाते हैं कि 'बिवेयर।' ऐसे बोर्ड लगाते हैं न, 'बिवेयर ऑफ थीफ्स', 'चोरो पासून सावध रहा?' उसी तरह ये 'बीवेयर' का बोर्ड लगाते हैं।
हमने सभी आप्तपुत्रों से कहा है कि आपको शादी करनी हो तो हम आपको लड़की दिखाएँगे, फर्स्ट क्लास लड़की। फिर भी मना करते हैं। वर्ना लड़कों के माँ-बाप मुझे कहेंगे नहीं कि 'आपकी वजह से ये लड़के कुँआरे रहते हैं।' मैं कहता हूँ, 'ठीक है।' लेकिन उनकी उपस्थिति में मैं कहता हूँ कि, 'शादी कर लो। हम ऐसा नहीं कहते कि 'ऐसा ही करो' ऐसा किसी को नहीं कहते। शादी करना या नहीं करना, तेरे कर्म के उदय के अधीन
है।
हम भी शादी करके विधुर हुए ही हैं न! जो शादी करेगा वह विधुर होगा। मुझे शादी करते वक्त विचार आया था कि 'शादी कर रहे हैं लेकिन विधुर होना पड़ेगा एक दिन।' शादी करते वक्त, मंडप में ही विचार आया था। पंद्रह साल की उम्र में। वह मैंने पुस्तक में जाहिर किया तो लोग हँसते हैं! अगर शादी करेंगे तो विधुर होना ही पड़ेगा न! उन दोनों में से एक को तो विधुर होना पड़ेगा न! तुझे पता नहीं था कि जो शादी करे उसे वैधव्य भुगतना पड़ेगा? शादी करेगा, उसे वैधव्य मिलेगा?