Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 453
________________ ४०० समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) गंदगी ही है, ‘दादा भगवान' में गंदगी नहीं है। इस शरीर में ऐसी सब गंदगी है, ऐसी जागृति रहे तब फिर कोई कितने भी सुंदर दिखे, फिर भी मोह उत्पन्न होगा क्या? प्रश्नकर्ता : नहीं होगा। दादाश्री : वह जागृति नहीं है, उसी वजह से यह मोह उत्पन्न होता है और उस मोह में से फिर निरे दुःख ही खड़े होते हैं। वर्ना दु:ख तो होता होगा? और कोई कहेगा कि तब शादी क्यों करते हो? तब मैं कहता हूँ कि शादी तो करनी पड़ती है, अवश्य करनी पड़ती है। अपनी इच्छा नहीं हो फिर भी मंडप में बिठा दें तो क्या होगा? बिठाते है या नहीं बिठाते? प्रश्नकर्ता : बिठाते हैं। दादाश्री : सभी मिलकर बिठा देते हैं न? 'साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल ऐविडन्स' बिठा देते हैं, उसमें चारा ही नहीं है। वह तो सब भुगतना ही पड़ता है। बाकी, यदि शादी नहीं करनी हो तो कौन लफड़ा खड़ा कर सकता है? शादी करनी हो तो कुदरती चारा ही नहीं। वर्ना बिना वजह राज़ी-खुशी से कोई लफड़ा खड़ा ही नहीं करेगा न? कोई करेगा? इस बात पर से सभी बहनों को समझ में आता है न? कोई लड़का अच्छे कपड़े-वपड़े पहनकर, नेकटाई-वेकटाई पहनकर बाहर जा रहा हो और उसे काटे तो क्या निकलेगा? तू बेवजह क्यों नेकटाई पहनता है? मोहवाले लोगों को भान नहीं है इसलिए सुंदरता देखकर उलझ जाते हैं बेचारे! जबकि मुझे तो सबकुछ खुला आरपार दिखता है। ये सभी लोग कपड़े उतारकर घूमें तो तुझे खराब नहीं लगेगा? । प्रश्नकर्ता : बहुत खराब लगेगा। दादाश्री : यानी कि इन कपड़ों की वजह से अच्छे दिखते

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